लखनऊ, 3 जुलाई: ‘मेरे बालों को पहले काटा और फिर उन्हें लाइटर से जला डाला। खौलता तेल मेरे हाथों और सिर पर डाला। फिर जख्मों में लाल मिर्च भर दी। जलती सिगरेट से मेरे जिस्म को कई जगह दागा। मैं दर्द से चीखती तो वे तालियां बजाते और रोती तो उन्हें मजा आता। मेहमानों के सामने मेरे कपड़े उतरवाकर मुझे नचाया। जब पैरों में दर्द होने और थकने की बात कहती तो फिर तकलीफे देना शुरू हो जातीं।’
ये कहते-कहते बहराइच के रूपगंज की 20 साला ललिता डर से कांपने लगी। ललिता पर जुल्म ढाने वाले कोई अनपढ़ और गंवार नहीं बल्कि हाई सोसाइटी के नुमाइंदे हैं। मामले में मुल्ज़िमो के खिलाफ मामला दर्जकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है।
मुतास्सिरा ललिता के जख्मों के निशान उस पर बीती हैवानियत की कहानी खुद-ब-खुद बयां कर रहे थे। घवालो को सहारा देने के लिए ललिता काम की तलाश में कुछ महीने पहले लखनऊ आई थी। अप्रैल में उसकी मुलाकात ओमेक्स सिटी में रहने वाली एक ज़ईफ खातून से हुई।
ललिता ने खातून से कहीं काम दिलाने को कहा तो उसने ललिता को मेट्रो सिटी में फ्लैट नंबर 126 डी में किराये पर रह रहे आशुतोष सिंह और उनकी बीवी प्रगति के यहां काम दिला दिया। इसके बाद ललिता आशुतोष के यहां रहकर काम करने लगी। आशुतोष ज्यादातर समय मुंबई में रहता था।
वह प्रगति के साथ मुंबई शिफ्ट होने की तैयारी में था। ललिता के मुताबिक आशुतोष की गैरमौजूदगी में उसका और प्रगति का दोस्त सैयद वारिस अपने नौकर डेविड उर्फ कल्लू के साथ अक्सर घर आता था। शुरुआत में सब कुछ ठीक चला लेकिन कुछ दिनों बाद छोटी-छोटी गलतियों पर ललिता को पीटा जाने लगा।
ललिता ने बताया कि टार्चर (Torture) का दौर हफ्ते भर पहले शुरू हुआ। प्रगति ने पालतू कुत्ते को पीटने और डेविड को ढंग से खाना न देने का इल्ज़ाम लगाकर ललिता को खूब पीटा।
एक दिन ललिता ने प्रगति से उसके बाल बराबर करने को कहा जिस पर प्रगति ने उन्हें छोटा कर दिया और डेविड के कहने पर उसके छोटे बालों को जगह-जगह लाइटर से जला दिया।
ट्रांसगोमती एसपी हबीबुल हसन ने बताया कि अगर चोरी का शक था या कोई और बात थी तो पुलिस से शिकायत करनी चाहिए था। किसी को घर में इस तरह Torture करना संगीन जुर्म है।
तीनों मुल्ज़िम को गिरफ्तार कर लिया गया है। वारिस के रोल का जांच किया जा रही है। मुल्ज़िम आशुतोष की डिग्री की भी जांच की जा रही है।