खुद को सरेंडर करना चाहता था दाऊद फिर रोका किसने ?

नई दिल्ली: हिंदुस्तान का मोस्ट वांटेंड मुजरिम और अंडरवल्र्ड डॉन दाऊद इब्राहिम 1993 मुंबई बम ब्लास्ट के बाद दाउद इब्राहिम ने सरेंडर करने की खाहिश जताया था । सीबीआई के उस वक्त के डीआईजी नीरज कुमार ने यह खुलासा किया है। 1993 से 2002 तक सीबीआई में रहे नीरज कुमार ने एक अखबार से बातचीत में बताया कि जून 1994 में उनकी दाऊद से खुदसुपुर्दगी के ताल्लुक में तीन बार बात हुई थी।

कुमार उस क्त इस मामले में जांच कर रहे थे। वह हमेशा जवाब देने को तैयार था, लेकिन उसे बात की फिक्र थी कि खुदसुपुर्दगी के बाद हिंदुस्तान में उसके दुश्मन कहीं उसका क़त्ल न कर दें।

दाऊद को अपोजिशन गैंग से अपनी जान का खतरा था और इसके चलते सुरक्षा के लिए वह समर्पण करना चाहता था। 1993 बम धमाकों में 257 लोग मारे गए थे और 700 से ज्यादा घायल हो गए थे। उन्होंने दाऊद से कहा था कि सीबीआई उसकी सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी लेगी। मगर वह बात आगे बढाते इससे पहले ही सीबीआई के शीर्ष अधिकारियों ने उन्हें रोक दिया। नीरज कुमार और दाऊद के बीच संपर्क मनीष लाला ने कराया था। नीरज कुमार ने कहा कि बम धमाकों के लगभग सवा साल बाद जून 1994 में मैंने दाऊद से तीन बार बात की थी और उस समय वह घबराया हुआ था।

वह समर्पण के विचार को लेकर दिलचस्पी ले रहा था लेकिन उसे डर था कि भारत आने पर विरोधी गैंगस्टर उसे मार देंगे। मैंने उसे कहा कि उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी सीबीआई की होगी। दाऊद परेशान था और कह रहा था कि धमाकों में उसका कोई किरदार नहीं है, लेकिन धमाकों के सबूत उसके दावे की धज्जियां उडा रहे थे।

कुमार ने आगे कहा कि, दाऊद से सरेंडर की शर्तों को लेकर बात होने से पहले ही उनके आला ओहदेदारों ने पीछे हटने को कह दिया। नीरज कुमार इस वक्त अपने 37 साल के करियर की टॉप-10 मामलों की जांच को लेकर किताब लिख रहे हैं।

उन्होंने बताया कि दाऊद के करीबी मनीष लाला ने दोनों की बात कराई थी। लाला ने मुझे कहाकि दाऊद अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए सरेंडर करना चाहता है। लाला दाऊद का कानूनी सलाहकार था।

कुमार ने बताया कि लाला के पास कोई कानूनी डिग्री नहीं थी, मगर उसे कानून की गजब की समझ थी। वह लाला से मुंबई की ऑर्थर रोड जेल में मिले थे।

उन्होंने बताया, 4 जून 1998 को दाऊद के जानी दुश्मन छोटा राजन के गुर्गो लाला की गोली मारकर क़त्ल कर दिया था ।

गौरतलब है कि सीनीयर वकील राम जेठमलानी ने भी कहा था कि धमाकों के बाद दाऊद ने उन्हें फोन किया था और खुदसुपुर्दगी की खाहिंश जताया था । इस दौरान उसने गारंटी मांगा था कि मुंबई पुलिस उसे परेशान या टार्चर नहीं करेगी और उसे नजरबंद रखेगी। लेकिन हुकूमत इस पर राजी नहीं हुई।