सूबे के मुखतलिफ़ इलाके में मगरीबी बंगाल के तंजीम मुजरिम अफीम की खेती करा रहे हैं। इस सिलसिले में रियासत की खुफिया पुलिस को जानकारी जुटाने की जिम्मेवारी दी गयी है।
पुलिस हेड क्वार्टर का मानना है कि सूबे में मगरीबी बंगाल से अफीम की खेती पर रोक के लिए मुहिम चलाने की जरूरत है। इस सिम्त में कार्रवाई करते हुए तमाम जिलों में खुफिया पुलिस के जरिये से जिला पुलिस की तरफ से कार्रवाई शुरू की गयी है। पुलिस हेड क्वार्टर के हिदायत के बाद भागलपुर के नवगछिया में 10 एकड़ में अफीम की खेती को बर्बाद किया गया। साथ ही तीन लोगों के खिलाफ सनाह दर्ज की गयी। गया के बाराचट्टी में 30 एकड़ में और सारण के दिघवारा में दो एकड़ में लगी अफीम की फसल को बर्बाद किया गया। गया व सारण में दो लोगों को एनडीपीएस एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया।
जुटायी जानकारी
पुलिस ज़राये ने बताया कि जो जानकारी मिल रही है, उसके मुताबिक पूर्णिया के बड़हरा कोठी ब्लॉक के एक दर्जन मुकाम पर अफीम की खेती की जा रही है। बाकायदा सरसों, मूली और मकई के खेतों में अफीम की खेती की जा रही है। अफीम पैदावारों के तार नेपाल और बांग्लादेश के अफीम कारोबारियों से जुड़े हैं। खुफिया इत्तिला की बुनियाद पर ही धमदाहा थाना इलाक़े के दमगड़ा में पुलिस ने 14 कट्ठे में लगी अफीम की खेती को बर्बाद किया। खुफिया पुलिस देही इलाकों में राब्ता कर अफीम की खेती को बर्बाद करने में जुट गयी है।
कमाई का अहम जरिया
जमुई, गया और सरहदी इलाकों में नक्सली तंजीम की सरगर्मी का अहम वजह वहां अफीम की गुपचुप तरीके से हो रही खेती है। जंगली इलाकों में हो रही अफीम की खेती को लेकर पुलिस को पड़ताल करने में परेशानी हो रही है, ऐसे में गाँव वालों से इत्तिला जमा करने की कोशिश किया जा रहा है। इक़्तेसादी जुर्म यूनिट के सरकारी ज़राये के मुताबिक साल 2009 में पुलिस ने 28 एकड़ में लगी अफीम की फसल को बर्बाद किया था, तो 2010 में पांच एकड़, 2011 में 13 एकड़, 2012 में 61.66 एकड़ व 2013 में नवंबर माह तक 37 एकड़ 30.5 कट्ठा 3.5 धूर में अफीम की खेती को बर्बाद किया गया।