नई दिल्ली । गेहूं कि खरीदारी करने वाली रीयासतों को 18 मई तक बोरीयों की सौ फिसद आपूर्ति का केंद्र सरकार का दावा खोखला साबित हुआ। अब तक सिर्फ 77 फीसदी बोरों की आपूर्ति ही हो सकी है। इसके बावजूद सरकार खुले बाजार से बोरों की खरीद करने को तैयार नहीं है। उसका कहना है कि बाजार के बोरों की हालत सही नहीं है।
देश के विभिन्न जिंस बाजारों के व्यापारि संगठनों ने पर्याप्त बोरों की उपलब्धता का दावा किया है। संगठनों का कहना है उनके पास जरूरत के मुताबीक बोरे मौजुद हैं। सरकार चाहे तो उनसे बोरें खरीद सकती है। लेकिन सरकार उनके इस रवैया से मुतमइन नहीं है। खाद्य मंत्रालय का कहना है कि बाजार में मौजुद बोरों की गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं उतरती। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि खाद्यान्न भंडारण वाले बोरों की खरीद के लिए सरकार की स्पष्ट नीति है। बोरों की गुणवत्ता के मानक निर्धारित किए गए हैं। इसके अलावा बोरों की सरकारी खरीद केवल भारतीय जूट निगम [जेसीआइ] से ही की जा सकती है। इसके लिए निगम को पहले से ही ऑर्डर दिए जा चुके हैं।
पुराने बोरों के इस्तेमाल पर पाबंदी है। जबकि बाजार में एसे ही बोरों की भरमार है। वैसे, बोरों की मांग व आपूर्ति कि दुरी को कम करने के लिए सरकार ने हाल ही में कानुनों में थोड़ी ढील दी है और सीमित मात्रा में उच्च घनत्व वाले प्लास्टिक बोरों के उपयोग की छूट दी गई है। लेकिन पुराने या निर्धारित मानक के विपरीत बोरों की खरीद नहीं की जा सकती।