गरीबी के ख़ातमे केलिए अक़वाम-ए-मुत्तहिदा(संयुक्त विकास राष्ट्र/The United Nations Development)की तरक़्क़ीयाती सरगर्मीयों में ध्यान

हिंदूस्तान ने कहा है कि तरखियात(विकास) केलिए अक़वाम-ए-मुत्तहिदा की अमली सरगर्मीयों के दौरान ग़ुर्बत(गरीबी) के ख़ातमे पर भी ध्यान‌ ठीक करनी चाहीए । अक़वाम-ए-मुत्तहिदा का फ़र्ज़ है कि वो ग़ुर्बत(गरीबी) के ख़ातमे पर ध्यान‌ दे और फिर एक मुल्क‌ के तवक़्क़ुआत को पूरा करने वाला माहौल साज़गार बनाया जाय ।

अक़वाम-ए-मुत्तहिदा मे तृणमूल कांग्रेस के एम पी डिर्क ओबराइन ने जो हिंदूस्तान पारलीमनटरीन दौरे कनुंदा वफ़द का हिस्सा हैं कहा कि अक़वाम-ए-मुत्तहिदा तरक़्क़ीयाती निज़ाम को आलमी सतह पर कामयाब उस वक़्त बनाया जा सकता है जब ये निज़ाम ग़ुर्बत(गरीबी) का ख़ातमा करने पर ध्यान‌ दे ।

इस अहम तरीन मामले मे ध्यान दिया जाना ज़रूरी है । ये मसला असल तो तरखियात से मरबूत है । उन्हों ने इस बात की निशानदेही की कि ग़ुर्बत(गरीबी) का ख़ातमा हनूज़ एक मसला है और तरक़्क़ी पज़ीर मुल्कों केलिए इस मसले को हल करना बहोत‌ ज़रूरत है इस के अलावा ग़ुर्बत(गरीबी) आलमी सतह पर सब से बड़ा पैकेज बन गई है देरक और ब्राइन ने मज़ीद कहा कि हिंदूस्तान का ईक़ान है कि ग़ुर्बत(गरीबी) के ख़ातमे केलिए अक़वाम-ए-मुत्तहिदा की अमली सरगर्मीयों का अहम मौज़ू है ।

तरक़्क़ीयाती सरगर्मीयों के साथ अक़वाम-ए-मुत्तहिदा ग़ुर्बत(गरीबी) के ख़ातमे को अव्वलीयत देगा । उन्हों ने कहा कि मग़रिबी बंगाल हिंदूस्तान का एक हिस्सा है जहां से में आया हूँ यहां इंसानी फ़लसफ़ा के तहत काम होता है और ग़ुर्बत(गरीबी) के ख़ातमे केलिए काम होरहा है इस लिए हमें इन तरक़्क़ीयाती सरगर्मीयों में ग़ुर्बत(गरीबी) को ही मर्कज़ी महवर बनाना होगा । आलमी मआशी कसादबाज़ारी के मद्द-ए-नज़र तरक़्क़ी केलिए मालिया का मिलना ज़रूरी है । इस केलिए दबाव बढ़ता जा रहा है ।

ये मसला उस वक़्त मज़ीद नाज़ुक(गंभीर) होता है जब तरक़्क़ी पज़ीर मुल्कों की तरफ‌ से असरी टैक्नालोजी हासिल की जाती है इस केलिए उन्हें बड़ा सरमाया मशग़ूल(व्यस्त ) करना पड़ता है । इस के अलावा तरक़्क़ीयाती सरगर्मीयों केलिए इख़तिराई मालीयाती तौसीअ भी करना पड़ता है ।

इन तमाम बातों और जरूरतों सरमाया कारी के फ़रोग़ के ज़रीये पूरा किया जा सकता है । मुवाफ़िक़ तरक़्क़ी तिजारत को फ़रोग़ देने से बड़ा मसला हल होगा और असरी टैक्नालोजीज़ के हुसूल के अलावा उन्हें तरक़्क़ी देने में भी मदद मिलेगी । उन्हों ने मज़ीद कहा कि अगर चीका जुनूब , जुनूब तआवुन जारी है । तरक़्क़ीयाती इक़दाम से शुमाली जुनूब ने दूरी इख़तियार करली है ।

तरक़्क़ी वाले ममालिक के साथ तआवुन ज़रूरी है । शुमाली और जुनूब से ताल्लुक़ रखने वाले मुल्कों के दरमयान तरक़्क़ीयाती सतह मे पड़े फ़र्क़ को नोट करते हुए उन्हों ने कहा कि जुनूब ,जुनूब तआवुन के तहत तरक़्क़ीयाती प्रोजेक्ट‌ तैय्यार किए जाते हैं । जुनूब । जुनूब तआवुन को कामयाब बनाने केलिए लचकदार ओरनरम मौक़िफ़ इख़तियार करना चाहीए ।

उन्हों ने कहा कि हिंदूस्तान का ईक़ान है कि तरक़्क़ीयाती सरगर्मीयां अक़्वाम डेव्लपमनट सिस्टम के तहत हूँ । इन इल्ज़ामात को असली ताक़त के ज़रीये दूर करने की ज़रूरत है ।उसे क़ौमी और मुक़ामी सतह पर निमटाजाय । जैसा कि अक़्वाम ने अपना माबाद 2015 तरक़्क़ीयाती एजंडा केलिए मंसूबा बनाया है । सर फ़रीक़ जामि पालिसी पर तआवुन केलिए ज़ोर दिया जा रहा है उन्हें मजमूई पालिसी के फ्रेमवर्क मे काम करना चाहीए ।