नई दिल्ली 09 फ़रवरी: सुप्रीमकोर्ट ने कहा कि अरूणाचल प्रदेश के गवर्नर जे पी राज खोह अपनी मर्ज़ी से जब चाहे रियासती असेंबली का मीटिंग तलब नहीं कर सकते। उन्होंने अरूणाचल प्रदेश में बोहरान का शिकार कांग्रेस ज़ेर क़ियादत नाबम टोकी हुकूमत की अक्सरीयत का इमतेहान लेने असेंबली मीटिंग को एक माह पहले तलब कर लिया था।
जस्टिस जे एस खीहर की क़ियादत वाली पाँच रुकनी दस्तूरी बेंच ने कहा कि गवर्नर अपनी मर्ज़ी से असेंबली की मीटिंग तलब नहीं कर सकते। अरूणाचल प्रदेश में एसे हालात पैदा नहीं हुए थे क्युं कि हम इब्तिदा से ये कहते आ रहे हैं। यहां सूरते हाल एसी नहीं थी कि गवर्नर एसा करते। अदालत ने कहा कि अगर टोकी हुकूमत के ख़िलाफ़ कोई अदमे एतेमाद की तहरीक मंज़ूर की जाती तो इस में कुछ ग़लत नहीं है।
रियासती असेंबली में स्पीकर को बेदखल करने के बाद डिप्टी स्पीकर की मौजूदगी में असेंबली में क़रारदाद मंज़ूर की गई थी। अदालत ने ये रिमार्कस उस वक़्त किए जब सीनीयर वकील राकेश दिवेदी ने ये वाज़िह किया कि गवर्नर को अपनी मर्ज़ी से असेंबली मीटिंग तलब करने से रोका नहीं जा सकता।
मिस्टर दिवेदी कांग्रेस के कुछ बाग़ी अरकाने असेंबली की तरफ से अदालत में पेश हुए थे। वकील का कहना था कि असेंबली मीटिंग की तलबी के लिए सिर्फ ये शर्त है कि कोई ना कोई काम होना चाहीए और जैसे ही मीटिंग शुरू हो जाएगी फिर गवर्नर का इस में कोई रोल नहीं रहता। अदालत में इस मसले पर समाअत कल होगी।