गवर्नर और चीफ़ मिनिस्टर का दौरा दिल्ली

गवर्नर आंधरा प्रदेश ई ऐस ईल नरसिम्हन की दिल्ली आमद और चीफ़ मिनिस्टर किरण कुमार रेड्डी की फ़ौरी दार-उल-हकूमत तलबी के बाद उम्मीद पैदा हुई थी कि तिलंगाना मसला की यकसूई होजाएगी या रियासत की सूरत-ए-हाल का बहाना बनाकर सदर राज नाफ़िज़ किया जाएगा। मगर दोनों क़ाइदीन की मर्कज़ी क़ियादत से मुलाक़ात और बातचीत के बाद जो ब्यान दिया गया वो तिलंगाना के अवाम के लिए मायूसकुन था। तिलंगाना के लिए हसब-ए-आदत एक ही रट लगा रहे हैं कि मसला का अनक़रीब हल निकाला जाएगा। चीफ़ मिनिस्टर किरण कुमार रेड्डी रियासत के तीनों इलाक़ों के अवाम के लिए काबिल-ए-क़बूल दोस्ताना हल निकालने की बात कररहे हैं। इस पर तिलंगाना क़ाइदीन का बरसर मौक़ा रद्द-ए-अमल माक़ूल था मगर तिलंगाना के अवाम अब तक जिस तरह की तौहीन महसूस कररहे थे इस में मज़ीद इज़ाफ़ा ही देखा गया। बहुत कम लोग मर्कज़ी क़ियादत को हदफ़ तन्क़ीद बनाते हैं। हाल ही में तिलंगाना क़ाइदीन की मर्कज़ी लीडरों से हुई मुलाक़ात ने जिस महारत से मसला को ग़ैर अहम बनाने की कोशिश की गई वो सब पर अयाँ ही। तिलंगाना क़ाइदीन एहतिजाज को हथियार बनाकर आम ॓ादमी की कमर तोड़ने वाली धन पर रिवायती रक़्स में मसरूफ़ हैं। इस में शक नहीं कि आम हड़ताल के असरात से मर्कज़ की तवज्जा मबज़ूल कराने का मौक़ा फ़राहम होगया। अफ़सोस इस बात का है कि हड़ताल में शिद्दत पैदा करने की धमकीयों के बावजूद किसी पर भी कोई ख़ास असर नहीं होरहा है। इलाक़ाई वक़ार के नक़ारे बजाने की बात करना तो बहुत आसान है लेकिन इस के अमली नताइज बरामद करना मुश्किल है। इलाक़ाई वक़ार को मर्कज़ की जानिब से दिन बह दिन ठेस पहोनचाई जा रही है। गवर्नर नरसिम्हन और चीफ़ मिनिस्टर ने इलाक़ाई वक़ार की मर्कज़ के सामने किस नौईयत की तस्वीर पेश की है ये ग़ैर वाज़िह है। गवर्नर और चीफ़ मिनिस्टर को तिलंगाना मसला की यकसूई के मुआमला में मर्कज़ के मौक़िफ़ में किस हद तक दख़ल देने का इख़तियार है ये अवाम गुज़श्ता चंद दिनों से मुशाहिदा कररहे हैं। तिलंगाना क़ाइदीन एक प्लेटफार्म पर आए बगै़र अपनी तर्जीहात का ताय्युन करचुके हैं तो ये लोग अपने ज़ाती मुफ़ादात और नज़रियात में तक़सीम होकर इलाक़ाई अवाम के एहसासात और जज़बात को नजरअंदाज़ करने की ग़लती से दो-चार होसकते हैं। रियासत में सदर राज की क़ियास आराईयों को मुस्तर्द करते हुए दो दिन में तिलंगाना मसला का हल तलाश करने की तवक़्क़ो रखने वाले चीफ़ मिनिस्टर ने ये नहीं बताया कि उन्हों ने मर्कज़ी क़ाइदीन से किस तजवीज़ पर बातचीत की। आंधरा प्रदेश में कांग्रेस उमोर के इंचार्ज ग़ुलाम नबी आज़ाद हरवक़त यही कहते आरहे हैं तिलंगाना पर मुशावरत का अमल जारी है। पहला मरहला ख़तन हुआ और पैर से दूसरा मरहला शुरू होगा। जहां तक सदर राज नाफ़िज़ करने का सवाल है रियासत में ऐसे हालात अभी पैदा नहीं हुए हैं कि मर्कज़ को इंतिहाई क़दम उठाना पड़ी। तिलंगाना के अवाम पुरअमन तरीक़ा से अपने मुतालिबा की हिमायत में एहतिजाज कररहे हैं। तिलंगाना क़ाइदीन ने आम हड़ताल में शिद्दत पैदा करने के लिए सिलसिला वार नए एहितजाजी प्रोग्राम का ऐलान किया ही। इस माह के तीसरे हफ़्ता में चलो हैदराबाद रिया ली निकालने के बिशमोल रेल रोको एहतिजाज और दीगर प्रोग्राम्स शामिल हैं। मौजूदा हालात में सयासी जमातों की बहुत सी ख़राबियां भी अवाम को नज़र नहीं आतीं। ये कहा जा सकता है कि हुकूमत के नाम पर कुछ बेअमल लोग अवाम पर मुसल्लत हैं और उन की हुनरमंदी जिस में इन बेअमल क़ाइदीन के ज़ाती मुफ़ादात भी शामिल हैंकी दास्तानें ज़बान ज़द आम होरही हैं। अगर इन सियासतदानों ने वो जैसे भी हैं एक ही प्लेटफार्म पर जमा होकर अपनी आवाज़ को मुत्तहिद बनाने का फ़ैसला किया होता तो तिलंगाना के हुसूल की राह आसान होती। अलैहदा रियासत तिलंगाना की तशकील के लिए मुहिम जोई, आम हड़ताल से अवाम को होने वाली तकालीफ़ का अंदाज़ा किए बगै़र हालात को यूं ही ना गुफ़्ता छोड़ दिया जाय तो बाद के वाक़ियात के लिए ख़ुद इलाक़ाई क़ाइदीन को ज़िम्मेदार ठहराया जाएगा। मर्कज़ या हुक्मराँ पार्टी के ज़िम्मेदार अफ़राद को इलाक़ाई मसाइल का इदराक नहीं है, उन्हें वाक़िफ़ कराने के लिए रियास्ती क़ाइदीन ने कोई मुत्तहदा एक राय पर मबनी कोशिश नहीं की, किसी मसला की यकसूई के लिए मुत्तहदा जद्द-ओ-जहद लाज़िमी है। ज़ाती ख़ाहिशात के आगे ज़रूरत से ज़्यादा झुकने से सामने के फ़रीक़ को बहाना मिल जाता है इस बात को कोई नहीं जानता कि तिलंगाना के क़ाइदीन अपने इरादों के पक्के हैं मगर आनधराई टोले ने बिलउमूम मर्कज़ में का बीनी दर्जा रखने वाले आनधराई क़ाइदीन ने मर्कज़ पर अपनी जानिब से दबाओ बरक़रार रख कर तिलंगाना की तशकील की राह में रुकावट डाल रखी है। मर्कज़ के इरादों की दिल खोल कर मुख़ालिफ़त हुक्मराँ पार्टी के ही हाशीयाबरदार क़ाइदीन कररहे हैं। तिलंगाना मुतालिबा का पोस्टमार्टम करते हुए नतीजा अख़ज़ किया जा रहा है कि एक दो दिन में मुतालिबा पर फ़ैसला होगा मगर अब तिलंगाना अवाम को मज़ीद शेबदा बाज़ी की ज़रूरत नहीं है। अब वो किसी पहलू भी मर्कज़ की बात पर यक़ीन नहीं करेंगी। ग़ैर यक़ीनी की कैफ़ीयत बरक़रार रहे तो आगे चल कर तिलंगाना का मसला संगीन होजाएगा फिर तिलंगाना के ख़द्द-ओ-ख़ाल अवाम ही ख़ुद तराशने का फ़ैसला करलींगे।