गाँव में डॉक्टर जाने को तैयार नहीं : अब अच्छे वेतन के लिए सबसे कम वेतन की बोली लगाने वाले को ही नौकरी

भोपाल : मध्यप्रदेश के ऐसे अस्पताल जहां विशेषज्ञ डॉक्टर जाने को तैयार नहीं हैं, मसलन गाँवों के अस्पताल या शहर से दूर वाली अस्पताल जहां डॉक्टर जाने को तैयार नहीं होते।
लगभग हर राज्य में ये मामला देखने को मिलता है। मध्यप्रदेश की सरकार ने अब वैसी जगहों में डॉक्टरों की भर्ती के लिए नया तरीका खोज निकाला है।

इन अस्पतालों में पदस्थ होने वाले डॉक्टरों को अच्छे वेतन के लिए दूसरे साथी डॉक्टरों के साथ वेतन की बोली लगाना होगी। सबसे कम वेतन मांगने वाले डॉक्टर को सरकार पदस्थ कर देगी। फिलहाल प्रदेश के 17 अस्पतालों के लिए यह व्यवस्था शुरू की जा रही है। इसमें जिला अस्पताल, सिविल अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र शामिल हैं।

स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ, शिशु रोग विशेषज्ञ और एनेस्थीसिया विशेषज्ञ के लिए यह भर्ती प्रक्रिया अपनाई जाएगी, जिससे इन अस्पतालों में सीजेरियन डिलीवरी शुरू की जा सके। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने बताया कि कनार्टक में यह प्रयोग किया गया है। इसके बाद हाल ही में उप्र में भी सीजेरियन डिलिवरी की सुविधा शुरू करने के लिए भर्ती की यह प्रक्रिया शुरू की गई है।

भर्ती के लिए नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) के एचआर पोर्टल के जरिए डॉक्टरों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा। इसमें वे अपनी इच्छा के अनुसार अधिकतम सैलरी की मांग कर सकेंगे। आवेदन करने वाले दूसरे डॉक्टरों को पहले आवेदन कर चुके डॉक्टरों द्वारा मांगा गया वेतन भी दिखाई देगा। इस आधार पर वे चाहें तो कम या ज्यादा की मांग कर सकेंगे।

आवेदन की तारीख खत्म होने के बाद संबंधित अस्पताल के लिए सबसे कम वेतन मांगने वाले विशेषज्ञ की पोस्टिंग दो साल के लिए कर दी जाएगी। इसके अलावा उन्हें अलग से कोई इंसेंटिव नहीं दिया जाएगा। हां, भर्ती करने के बाद डॉक्टर को तय टारगेट के अनुसार कम करना होगा, जिससे सीजर डिलिवरी में परेशानी न आए।

बता दें कि सरकार अभी तक पीजी डिग्री वाले डॉक्टर को सवा लाख और पीजी डिप्लोमा वाले डॉक्टर को एक लाख रुपए वेतन दे रही है। फिर भी जरूरत के अनुसार विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं मिल रहे हैं। इस प्रक्रिया में वे डॉक्टर भी आवेदन कर सकेंगे जो सरकारी अस्पतालों में पहले से पदस्थ हैं।

दो साल बाद कम वेतन वाला मिला तो हटाए जाएंगे

इस प्रक्रिया के तहत भर्ती सिर्फ दो साल के लिए भर्ती की जाएगी। इसके बाद भी फिर इसी प्रक्रिया से भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया जाएगा। दो साल बाद अगर कोई डॉक्टर कम वेतन मांगने वाला आया तो पहले वाले का हटना तय है।