साबिक़ नायब वजीरे आला सुशील मोदी ने कहा कि मांझी हुकूमत रियासत के 11 करोड़ लोगों को सेक्युर्टी नहीं दे सकती है। उन्होंने वजीरे आला जीतन राम मांझी को बेबस, कमजोर और लापरवाह बताते हुए जदयू को नया सीएम चुनने या फिर इंतखाब में जाने की सलाह दी है। मंगल को अपने रिहाइशगाह पर अवामी दरबार के बाद सहाफ़ियों से बातचीत में उन्होंने गांधी मैदान भगदड़ के लिए जिला इंतेजामिया के अफसरों को जिम्मेवार ठहराते हुए उन पर गैर इरादतन कत्ल का मामला दर्ज करने की मांग की। उन्होंने सर्वदलीय कमेटी से जांच की मांग करते हुए कहा कि इस जांच कमेटी पर भरोसा नहीं है।
कमेटी मरने वालों के अहले खाना या जख्मियों का बयान नहीं ले रही है, तो इस तहक़ीक़ात का कोई मतलब क्या है? यह तहक़ीक़ात पूरी वाकिया की लीपापोती है। हुकूमत के हक़ में बढ़-चढ़ कर बयान देनेवाले वज़ीर श्याम रजक को निशाने पर लेते हुए मोदी ने कहा कि फुलवारी के चार-पांच लोगों की इस भगदड़ में मौत हुई है। इसके बावजूद वे किसी से मिलने तक नहीं गये हैं। किसी वज़ीर में इतनी हिम्मत नहीं है कि वह किसी मैयत के अहले खाना से मिलने की हिम्मत करे। मोदी ने कहा कि सिर्फ गड्ढा भर दिया जाता और सड़क पर निकले छड़ को हटा दिया जाता, तो इतना बड़ा हादसा नहीं होता।
मौजूदा डीएम मनीष कुमार वर्मा को जदयू एमपी आरसीपी सिंह का करीबी बताते हुए उन्होंने कहा कि इंतिख़ाब कमीशन की तरफ से ब्लैकलिस्टेड यह अफसर ओड़िशा कैडर का है। इसे तकर्रुरी की बुनियाद पर बिहार लाया गया है। उसे बिला ताखीर ओड़िशा वापस भेज दिया जाये। यह अफसर वाकिया के वक्त बच्चे का बर्थ डे मनाने में मसरूफ़ था। वाकिया के बाद पीएमसीएच में कोई सीनियर डॉक्टर नहीं था। वहां लाशों को भी महफूज नहीं रखा गया। इत्तिला मिलने के बाद भी वजीरे आला गया जा रहे थे। वे 1.45 बजे पटना लौटे. ऐसे सीएम के भरोसे बिहार को नहीं छोड़ा जा सकता है। उन्होंने कहा कि गांधी मैदान की सेक्युर्टी की फिर से तजवीज करना चाहिए। इसकी ऊंची दीवार को तोड़ देना चाहिए। बड़े-बड़े दरवाजे बनाने की जरूरत है, ताकि मुस्तकबिल में ऐसी वाकिया न हो।