रांची : झारखंड में देहि बिजली का काम कर रही कंपनी आइवीआरसीएल को सरकार ने टर्मिनेट कर दिया है। करार मंसूख करने के साथ कंपनी को ब्लैक लिस्टेड किया गया है। इसकी बैंक गारंटी 132 करोड़ रुपए भी सीज कर ली गई है। यह फैसला पीर को बिजली कंपनियों की हुई बोर्ड मीटिंग में लिया गया।
मीटिंग में फाइनेंस सेक्रेटरी अमित खरे, तूअनाई सेक्रेटरी एसकेजी रहाटे, तकसीम कंपनी के मैनेजिंग डैरेक्टर राहुल पुरवार, अमित कुमार, बिजली कंपनियों के डैरेक्टर व दीगर मौजूद थे। आइवीआरसीएल को गढ़वा, पलामू और लातेहार में देहि बिजली का काम करना था।
आइवीआरसीएल ने गढ़वा, पलामू और लातेहार में 601 गांवों का बिजली का काम नहीं किया। अब छूटे हुए गांवों का बिजली तकसीम कंपनी करेगी। काम छोड़ने की वजह प्रोजेक्ट की लागत 100 से 125 करोड़ रुपए बढ़ गई है। पहले यह प्रोजेक्ट 900 करोड़ रुपए का था, अब इस पर 1000 से 1025 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इन गांवों में थ्री फेज कनेक्शन दिया जाएगा। साथ ही 10 और 16 केवीए के ट्रांसफारमर की जगह 25 केवीए के ट्रांसफारमर लगाए जाएंगे।
भागलपुर के बांका में बन रहे अल्ट्रा मेगा पावर प्लांट से 1000 मेगावाट बिजली ली जाएगी। बोर्ड मीटिंग में इस परपोजल को मंजूरी दी गई। वहीं नॉर्थ कर्णपुरा में बन रहे एनटीपीसी के पावर प्लांट से बिजली लेने के लिए लातेहार में नेटवर्क दुरुस्त किए जाने पर मंजूरी बनी। पतरातू में बन रहे नए पावर प्लांट का लीज रेंट कम के कम दर लेने पर मंजूरी बनी। इसके पीछे तर्क दिया गया कि लीज रेंट कम से कम लेने पर टैरिफ पर ज्यादा बोझ नहीं पड़ेगा। रांची और जमशेदपुर में आरएपीडीआरपी प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए कम लागत का तफ्सीलात तैयार करने को कहा गया।
बिजली कंपनियों के जहां भी ट्रांसफॉरमर रिपेयर वर्कशॉप हैं, वहां के स्क्रैप नीलाम किए जाएंगे। मर्क़ज़ की एमएसटीसी इसकी नीलामी करेगी। आरएपीडीआरपी प्रोजेक्ट के तहत बाउंड्री और फीडर मीटर की तादाद बढ़ाई जाएगी। इसके पीछे वजह बताया कि कई नए सब स्टेशनों की तामीर किया गया है।