मगरिबी एशिया में इस्राईल की दहशत हर तरह से नजर आ रही है। इस्राईली हमलों में अब तो दुधमुंहे (शीर ख्वार) बच्चे भी मारे जा रहे हैं। जहां तक फिलिस्तीन अवाम का सवाल है अब तो वह पूरी तरह से इस्राईल के रहमो करम पर जिंदा है। इस्राईल ने यह लड़ाई अपने तीन नौजवानों के अगवा और उनके कत्ल के बाद शुरू की थी। हुआ यह था कि जून में वेस्ट बैंक के हेब्रान शहर में रहने वाले हमास के दो मेम्बरान ने यहूदी लड़कों को पकड़ लिया था और इल्जाम है कि बाद में उन्हें कत्ल कर दिया गया था। मुबयना (कथित) कातिल हेब्रान के ही रहने वाले बताए जाते हैं। अभी इस्राईल की पूरी फौज और उनका पूरा खुफिया सिस्टम मुल्जिमान को पकड़ने में नाकाम है, लेकिन उसी बहाने से पूरे इलाके में दहशत का राज कायम कर रखा है। पूरे फिलिस्तीन में दहशत ही दहशत है। मिली खबरों के मुताबिक इस्राईली फौज ने गाजा शहर में हवाई जहाज से पर्चे फेंके हैं जिनमें लिखा था कि जो लोग शहर छोड़ कर भाग नहीं जाएंगे उनकी जान की हिफाजत की गारंटी नहीं दी जा सकती है। सब लोग घर बार छोड़कर भाग रहे हैं और शहर से दूर बनाई गई जगहों पर पनाह ले रहे हैं। इस्राईल ने दावा किया है कि गाजा में हमास का एक अहम फौजी ठिकाना है जहां से इस्राईली इलाकों को निशाना बनाकर राकेट दागे जाते हैं।
इस्राईल ने बाद में हमला किया तो गाजा शहर के पुलिस चीफ तासीर बत्श के घर को निशाने पर लिया गया। उनके परिवार के अट्ठारह मेम्बर मार डाले गए, जिसमें छः बच्चे भी थे। उधर इस्राईल के वजीर-ए-आजम बेजांमिन नेतन्याहू ने साफ कह दिया है कि जब तक हमास को सबक नहीं सिखा दिया जाता तब तक हमलों में कोई ढील नहीं दी जाएगी। उनका दावा है कि हमास को तोड़ दिया जाएगा और उसके बाद ब हुत समय तक अम्न का माहौल बना रहेगा। लेकिन यह बेकार की बात है। इसके पहले भी इस्राईल ने हमास को दुरूस्त करने के लिए हमले किए हैं। 2008.09 और 2012 के हमले भी इसी मकसद से किए गए थे। हालांकि उन दोनों मुहिमों में हमास की फौजी ताकत थोड़ी कमजोर तो हुई थी, लेकिन बहुत जल्द ही वह फिर मुत्तहिद हो गए थे। देखा यह गया है कि इस्राईली हमले के बाद हमास के पास नए हथियार आ जाते हैं। राकेट तो उनका नया हथियार है। जाहिर है कि हमास और हिजबुल्लाह को भी हिमायत देने वाली ताकतों की कमी नहीं है। पिछले इस्राईली हमलों का हमास वाले अब मजाक उड़ाते हैं और कहते हैं कि हर दो-तीन साल बाद इस्राईल इस तरह के हमले करता है जैसे उसके फौजी लाॅन की कटाई छटाई करने आते है। लेकिन यह रूख भी सही नहीं है। जंग के रूख को बारीकी से समझने वाले हमास के वर्कर तो बच जाते हैं लेकिन हर इस्राईली हमले में आम आदमी, औरते और बच्चे मौत के मुंह में समा जाते हैं।
इस्राईल में भी पिछले दो बार के हमलों को लेकर काफी बेइत्मीनानी है। अजीब बात है कि इस्राईल में इस तरह से खुले आम गैर फौजी शहरियों के मारने-काटने का सिलसिला बदस्तूर जारी है और दुनियाभर में हुकूके इंसानी की डुगडुगी बजाने वाले अमरीका के फारेन पालीसी बनाने वालों को कहीं नहीं नजर आ रहा है। गाजा में हुए मौजूदा हमलों में कम से कम 166 लोेग मरे हैं जिनमें 36 बच्चे और 24 औरतें शामिल हैं। यूएन की तरफ से इस इलाके में अम्न की कोशिश कर रहे इदारों का अंदाजा है कि हालात बहुत ही खतरनाक है।
इस्राईल के बड़े अफसरान का कहना है कि इस बात का कोई इमकान नहीं है कि हमास को पूरी तरह से तबाह किया जा सकता है। इस हमले के बाद भी हमास के फौजी ढांचे का कुछ भी बिगड़ने वाला नहीं है। लेकिन हमास और उसके सभी हामियों का इल्जाम है कि इस्राईल की अपनी कोई ताकत नहीं है। इस इलाके में जो भी कत्लेआम हो रहा है सबके पीछे अमरीका है, क्योंकि वह हर साल इस्राईल के लिए तीन अरब डाॅलर की फौजी इमदाद देता है। हालांकि इस्राइल की इस मनमानी की मुखालिफत इंसानी सतह पर अमरीका समेत सभी मुल्कों में हो रही है लेकिन सरकारों के रूख खुदगर्जाना तरीकों से तय हो रहे हैं।
पूरी दुनिया में दहशत की वजह से इस्राईल की मुखालिफत करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। अमरीका के इस्लामी दोस्त जार्डन, यूएई, तुर्की, कतर, बहरीन, लेबनान और कुवैत इस्राईल के खिलाफ कुछ नहीं बोल रहे हैं। हालांकि हमास के दहशतगर्दाना तरीको को भी सही नहीं माना जा सकता, लेकिन अमरीका को चाहिए कि वह इस्राईल को रोके। इस सारे अमल में भारत सरकार का रोल खुद को नुक्सान पहुंचाने वाली अलामतों से भरा है। जो भारत पच्छिम एशिया में जायनिस्ट दहशत की हमेशा मुखालिफत करता रहा है। गाजा में मारे जा रहे बच्चों की चीख को क्यों नहीं सुन पा रहा है? यह बात समझ से बाहर है।
(जदीद मरकज़)