इंसानों की तरह गायों को भी पेट के गैस की समस्या होती है. और उनकी डकार से जितनी हानिकारक गैसें निकलती हैं उतनी हानिकारक गैस किसी कार से भी नहीं निकलती है. पृथ्वी के वायुमंडल में मीथेन की ज्यादा मात्रा के लिए गायों की डकार से निकलने वाली गैस को लंबे समय से जिम्मेदार माना जा रहा है. कहा गया कि इससे वायुमंडल को नुकसान पहुंचता है. लेकिन इसी साल जनवरी में राजस्थान के शिक्षा और पंचायती राज मंत्री वासुदेव देवनानी ने ये कहकर कई लोगों को चौंका दिया कि ‘गाय एकमात्र जीव है जो केवल ऑक्सीजन लेती और छोड़ती’ है.
2006 में संयुक्त राष्ट्र की जलवायु परिवर्तन से जुड़ी रिपोर्ट में इसका ज़िक्र है. हाल में नासा ने भी अपनी रिपोर्टों में स्पष्ट किया है कि गायों के डकार में बड़ी मात्रा में हानिकारक मीथेन गैस निकलती है. हम जानते हैं कि मीथेन एक ग्रीनहाउस गैस है और इसे धरती के लिए मुसीबत माना जाता है. ग्रीनहाउस गैस उन्हें कहा जाता है जो सूरज की गरमी सोखते हैं और धरती को गर्म करते हैं.
दलदली जमीन वाले इलाकों में मीथेन कुदरती तौर पर पैदा होता है. दीमक से लेकर समंदर तक मीथेन उत्सर्जित करते हैं. ब्रितानी न्यूज़ वेबसाइट मेट्रो की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 150 सालों में मानवीय गतिविधियों के कारण मीथेन उत्सर्जन की मात्रा दोगुनी हो गई है. इसके लिए ईंधन जलाने से लेकर पशुपालन तक जिम्मेदार हैं.
कहा जाता है कि 90 मिलियन टन मीथेन पालतू जानवरों से उत्सर्जित होता है.
गाय, भेड़ और बकरियों जैसे जानवर बड़ी मात्रा में मीथेन छोड़ते हैं और ये उनके पाचन क्रिया की वजह से होता है. जानवर अपना खाना पचाने के लिए जुगाली करते हैं और इस प्रक्रिया में उनसे मीथेन गैस निकलती है. नासा के वेबसाइट पर छपी एक रिपोर्ट में बताया है कि मीथेन गायों के डकारने की वजह से उत्सर्जित होता है न कि उनके पादने की वजह से. नासा के मुताबिक, “किसी डेयरी में एक गाय सालाना 80 से 120 किलो मीथेन उत्सर्जित (डकारने की वजह से न कि पाद कर) करती है. एक फैमिली कार साल भर में इतना ही कार्बन उत्सर्जित करती है.”
एक दूसरी रिपोर्ट में नासा ने कहा है, “आम मान्यता के विपरीत इसके लिए गाय की डकार जिम्मेदार है. हालांकि गाय की लंबी आंतों में भी मीथेन की थोड़ी मात्रा रहती है.”
वैज्ञानिक धरती को बचाने के लिए ये रिसर्च कर रहे हैं कि धरती को गाय की डकार से कैसे बचाया जाए.
स्रोत : बीबीसी हिन्दी