गाय की पूजा धर्म की तुलना में ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए ज़्यादा की जाती है : केंद्रीय कृषि मंत्री

नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि गाय की पूजा करने को सिर्फ धार्मिकता के साथ नहीं देखा जाना चाहिए क्यूँकि गाय एक मजबूत ग्रामीण अर्थव्यवस्था बनाने का काम भी करती है |

Facebook पे हमारे पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करिये

बुधवार की रात को एक पुस्तक के विमोचन समारोह में सिंह ने कहा कि “गाय पालने वाले ग्रामीण परिवार कभी भुखमरी से नहीं मर सकते हैं गाय की पूजा को सिर्फ धार्मिक भावना से जोड़ना ग़लत होगा | धार्मिक भावना का सम्मान किया जाना चाहिए लेकिन गाय को पारंपरिक भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक आधार के रूप में समझा जाना चाहिए” |

उन्होंने कहा कि “कई अध्ययनों और ग्रामीण भारत के अनुभवों से पता चला है कि जब गाय दूध देना बंद कर देती है तो आर्थिक तौर पर इसके मूत्र और गोबर को अन्य दवाएं बनाने और अन्य उपयोग में लाया जाता है |

‘कामधेनु: ‘भारत की गायें’, सिविल सर्वेंट और वर्तमान में TBE हरियाणा गर्वनमेंट की एडिशनल चीफ़ सेक्रेट्री द्वारा लिखी गयी और विसडम ट्री द्वारा पब्लिश्ड इस पुस्तक को , पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी और नीति आयोग के सदस्य बिबेक देबरॉय की विशिष्ट उपस्तिथि में कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह द्वारा रिलीज़ किया गया |
इस अवसर पर बोलते हुए देबरॉय ने कहा कि पूर्व संयुक्त सचिव (डेयरी विकास) सिब्बल ने, “वैज्ञानिक डेटा और स्वदेशी नस्लों के आर्थिक महत्व के साथ-साथ लोकगीत, स्थानीय कहानियों और मिथकों का एक सही मिश्रण बना दिया है”।

1986 बैच की आईएएस अधिकारी ने 2012 में एक परियोजना पर काम करने के अपने एक अनुभव को साझा करते हुए कहा कि ‘भारतीय गाय की हर नस्ल एक कहानी है। ”

उन्होंने कहा कि पुस्तक का विचार सबसे पहले सिक्किम में उसके कार्यकाल के दौरान मन में आया था जब एक मठ में उन्होंने देखा कि सिक्किम के सिरी गायों के मक्खन को एक खास किस्म की प्रकाश लैंप के लिए इस्तेमाल किया गया था।उसमें एक “एक अद्वितीय खुशबू थी और स्थानीय लोगों को भी मानना ​​था कि सिरी दूध मक्खन का उपयोग गांव के लिए शुभ है”|

उन्होंने कहा कि डेयरी फार्मिंग गाँव के “सबसे गरीब और सीमान्त किसान” के रोज़गार और विकास के लिए सबसे अच्छा है |ये भूमिहीन लोगों और सीमांत किसानों की 70 फीसदी मदद करता है |

राधा मोहन सिंह ने कहा कि “सरकार डेयरी फार्मिंग को प्रोत्साहित करने के लिए और विशेष रूप से “देसी” गायों को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है, ऐसा देखा जा रहा है कि जलवायु परिवर्तन और तापमान एक डिग्री से औसतन ऊपर जा रहा है जिसकी वजह विदेशी नस्लों की गाय में अधिक से अधिक कमजोर हो रही हैं” |

उन्होंने कहा कि, केंद्र सरकार ने 500 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ राष्ट्रीय गोकुल मिशन शुरू कर दिया है| भारत में दूध उत्पादन करने वाले मवेशियों की 32 नस्ल पायी जाती है
मंत्री ने कहा कि “एक आदेश में स्वदेशी गायों के प्रजनन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए, केंद्र राष्ट्रीय गाय प्रजनन केंद्र और ऐसे ही एक केंद्र के जल्द ही आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश में बनाएगा” और उत्तर प्रदेश सरकार जो शुरू में मथुरा में एक गोकुल ग्राम स्थापित करने का अनिच्छुक था अब सहमत हो गया है |