गिलानी ने मजबूरी के तहत खुद को बताया हिंदुस्तानी

श्रीनगर: अलहैदगी पसंद लीडर सैयद अली शाह गिलानी आज पासपोर्ट आफीसरों के सामने पेश हुए और उन्होंने अपने दौरा ए दस्तावेज की रस्म को पूरा करते हुए अपने को एक हिंदुस्तानी ऐलान किया लेकिन इस बात पर ज़ोर दिया कि उन्होंने ऐसा मजबूरी के सबब किया.

इलाकई पासपोर्ट आफिस के एक आफीसर ने यहां बताया कि, ‘‘गिलानी ने मुकर्रर काउंटर पर अपने बायोमेट्रिक डाटा. अंगुलियों के निशान और इरिस स्कैन दिये.’’

88 वर्षीय बुनियादपरस्त हुर्रियत लीडर सउदी अरब में अपनी बीमार बेटी को देखने के लिए जाना चाहते हैं. गिलानी सुबह सवा दस बजे यहां पासपोर्ट आफिस पर पहुंचे. आफीसर ने बताया कि उन्हांने क़ौमियत के खाने में ‘‘भारतीय’’ ज़िक्र किया.

पासपोर्ट दफ्तर के बाहर नामानिगारों से बातचीत करते हुए गिलानी ने कहा कि, ‘‘मैं पैदाइशी हिंदुस्तानी नहीं हूं. यह एक मजबूरी है.’’ हुर्रियत के एक तरजुमान ने गिलानी की तरफ से हिंदुस्तानी यानी भारतीय लिखे जाने को सही ठहराते हुए कहा कि सभी कश्मीरी के लिए हिंदुस्तानी पासपोर्ट पर दौरा या सफर करना एक मजबूरी है.

हुर्रियत तरजुमान ने कहा कि गिलानी को भी इस सिलसिले में रस्म पूरी करने के लिए ऐसा करने को मजबूर होना पड़ा. गिलानी को पासपोर्ट दिये जाने को लेकर सियासी बहस छिड़ गयी थी क्योंकि रूलिंग पार्टी भाजपा ने एहतिजाज करते हुए कहा था कि उन्हें अपनी क़ौमियत हिंदुस्तानी ऐलान करनी चाहिए और अपनी क़ौमी मुखालिफ सरगर्मियों के लिए माफी मांगनी चाहिए.

बहरहाल पीडीपी ने भी इसकी ताईद की थी जबकि साबिक सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा था कि उसे इस मुद्दे पर कोई ऐतराज़ नहीं है क्योंकि गिलानी को पहले भी पासपोर्ट दिया जा चुका था.

वज़ारत ए खारेज़ा ने पहले कहा था कि गिलानी का पासपोर्ट की दरखास्त अधूरा था और उस पर गौर नहीं किया जा सकता.

मरकज़ ने कहा था कि वह गिलानी के दरखास्त पर सभी फार्मालिटीज पूरी होने के बाद सही और गलत की बुनियाद पर गौर करेगा.

वज़ारत ए खारेज़ा के तरजुमान विकास स्वरूप कह चुके हैं, ‘‘उनकी (गिलानी की) तरफ से अधूरा दरखास्त हासिल हुआ था. फीस नहीं दी गयी और बायोमेट्रिक्स तफ्सील और फोटोग्राफ नहीं सौंपी गयी.’’