गिलानी पर फ़र्द-ए-जुर्म आइद कर दी गई

इसलामाबाद 13 फरवरी(एजेनसीज) आज पीर को पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने इन आर ओ केस के अदालती फ़ैसले पर अमलदरआमद ना करने की वजह से वज़ीर-ए-आज़म यूसुफ़ रज़ा गिलानी पर तौहीन अदालत के सिलसिले में फ़र्द-ए-जुर्म आइद कर दी है। मुक़ामी ज़राए इबलाग़ के मुताबिक़ वज़ीर-ए-आज़म गिलानी पर आइद की गई फ़र्द-ए-जुर्मकी दस्तावेज़ दो सफ़हात पर मुश्तमिल है। सुप्रीम कोर्ट ने तौहीन अदालत केस की समाअतबाईस फरवरी तक मुल्तवी कर दी गई । गिलानी पाकिस्तान के ऐसे पहले वज़ीर-ए-आज़महैं, जिन पर तौहीन अदालत के इल्ज़ाम में फ़र्द-ए-जुर्म आइद की गई है।

अगर उन्हें इस मुक़द्दमे में सज़ा सुना दी गई तो उन्हें छः माह की क़ैद हो सकती है। इस के साथ ही वो नाअहल भी हो जाऐंगे। तौहीन अदालत के जुर्म के मुर्तक़िब पाए जाने पर वज़ीर-ए-आज़म यूसुफ़ रज़ा गिलानी अपने ओहदे से हाथ दो बैठेंगे। यूसुफ़ रज़ा गिलानी ने एक अरब टैलीविज़न को दिए गएब्यान में ये एतराफ़ किया है कि अगर उन पर जुर्म साबित हो जाता है तो उन्हें मुस्ताफ़ी होने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि सज़ा मिलने के साथ ही वो नाअहल हो जाऐंगे।

पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने दो बरस क़बल हुक्म दिया था कि वज़ीर-ए-आज़म गिलानी पाकिस्तानी सदर आसिफ़ अली ज़रदारी के ख़िलाफ़ बदउनवानी के मुक़द्दमात खुलवाने के लिए सोइस अदालतों को ख़त लिखें। ताहम वज़ीर-ए-आज़म गिलानी ने अभी तक सुप्रीम कोर्ट के हुक्म की तामील नहीं की है।

इस वजह से सुप्रीम कोर्ट ने उन के ख़िलाफ़ अदालत के हुक्म पर अमल ना करने की वजह से तौहीन अदालत के इल्ज़ाम में फ़र्द-ए-जुर्म आइदकी। गिलानी का मुक़फ़ है कि सदर-ए-पाकिस्तान के ख़िलाफ़ आइद बदउनवानी के तमाम तर इल्ज़ामात सयासी नौईयत के हैं। जुमा के दिन जस्टिस इफ़्तिख़ार मुहम्मद चौधरी की सरबराही में सुप्रीम कोर्ट के आठ रुकनी बैंच ने वज़ीर-ए-आज़म की इंट्रा कोर्ट अपील मुस्तर्द कर दी थी, जिस में वज़ीर-ए-आज़मगिलानी के वकील एतिज़ाज़ अहसन ने दरख़ास्त की थी कि इन के मुकुल पर तौहीनअदालत के सिलसिले में फ़र्द-ए-जुर्म आइद ना की जाय।

आज पैर के दिन जस्टिस नासिर अलमक की सरबराही में सुप्रीम कोर्ट के सात रुकनी बैंच ने क़ौमी मुसालहती आर्डीनैंस (एन आर ओ) पर दिए गए अदालती हुक्म पर अमलदर आमद के हवाले से मुक़द्दमे की समाअत की और वज़ीर-ए-आज़म गिलानी को फ़र्द-ए-जुर्म पढ़ कर सुनाई। इस मौक़ा पर गिलानी ने कहा कि उन्हें अपने ऊपर लगाए गए इल्ज़ामात की समझ आ गई है। उन्हों ने इन इल्ज़ामात को मुस्तर्द भी किया। सुप्रीम कोर्ट ने कह रखा है कि गिलानी के ख़िलाफ़ ये मुक़द्दमा उसी सूरत में ख़तम किया जाएगा, जब वो सोइस अदालतों को ख़त लिखें गे।