गिले-शिकवे भुलाकर, इंसानियत और भाईचारे का संदेश देती है ईद-उल-फितर

रमजान माह की इबादतों और रोजे के बाद ईद-उल फितर जबरदस्त रौनक लेकर आती है।

रमजान के महीने की आखिरी दिन जब चांद का दीदार होता है तो उसके बाद वाले दिन को ईद मनाई जाती है।

आज शाम चाँद नजर चुका है और कल पूरे देश भर में ईद मनाई जायेगी। इसका ऐलान कल ही लखनऊ में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ

बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना डॉ. कल्बे सादिक किया। उन्होंने कहा कि ईद का चांद रविवार को दिखेगा, जिसके बाद देशभर में सोमवार को ईद मनाई जाएगी। .
रमजान का महीना शुरू होने के साथ रोजेदारों को ईद का इंतज़ार बेसब्री से रहता है।
रमजान के महीने में रोजे रखने और पांच वक़्त की नमाज पढ़ी जाती है। इबादत करने के साथ गरीब लोगों के मदद की जाती है।

ऐसा करने में कामयाबी मिलने पर ईद का जश्न मनाया जाता है। ईद के दिन जो नमाज पढ़ी जाती है उसमें लोग अल्लाह का शुक्र अदा करते हैं कि उसने उन्हें रोजे रखने की तौफीक दी।

ईद के दिन हर घर में ख़ुशी का माहौल होता है। लोग नए-नए कपड़े पहनकर मस्जिद में नमाज पढ़ने जाते हैं। नमाज के बाद सभी लोग गिले-शिकवे भूल कर एक दूसरे के गले लगते हैं और ईद की बधाई देते हैं।

क्या आप जानते हैं कि इसे ईद-उल-फितर क्यों कहते हैं ? क्यूंकि इस ईद के दिन नमाज से पहले सभी फितरा और जकात निकालते हैं। इससे बिना नमाज अदा नहीं की जाती। फितरे और जकात की रकम गरीबों में बांटी जाती है।