नई दिल्ली, 23 अप्रैल: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मुजरिमाना मुआमलात में जल्द जमानत नहीं दी जा सकती क्योंकि जमानत मिलने पर वह मुकदमों और गवाहों को मुतास्सिर कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने यह तब्सिरा एयर होस्टेस गीतिका शर्मा खुदकुशी के मामले में मुल्ज़िम अरुणा चड्ढा को जमानत देने से इंकार करते हुए की।
हालांकि अदालत ने इस मामले में निचली अदालत को जल्द इल्ज़ाम तय करने को कहा है। चड्ढा हरियाणा के साबिक वज़ीर गोपाल कांडा की करीबी हैं। कांडा इस मामले में अहम मुल्ज़िम आरोपी हैं।
जस्टिस एचएल दत्तू की सदारत वाली बेंच के रु ब रू सह मुल्ज़िम की ओर से पेश हुए वकील यूयू ललित ने तर्क दिया कि उनकी मुवक्किल को पिछले साल 8 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था और पिछले 110 दिन से वह जेल में हैं।
इस मामले में दरखास्त दायर की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि मेरी मुवक्किल के खिलाफ सिर्फ खुदकुशी के लिए उकसाने का इल्ज़ाम है। ऐसे में उन्हें जमानत मिलनी चाहिए।
इस पर बेंच ने कहा कि मुल्ज़िम बहुत ही मुतास्सिरहैं। अगर उन्हें जमानत दी गई तो वह मामले को मुतास्सिर कर सकती हैं।
वकील ने कहा कि मेरी मुवक्किल खातून हैं और उनका एक सात साल का बच्चा है, जिसकी वह अकेली गार्जियन हैं। उनके पीछे बच्चे को देखने वाला कोई नहीं है।
हालांकि बेंच ने उनकी दलील पर कोई रुख नहीं जाहिर किया। तब उन्होंने बेंच को बताया कि निचली अदालत ने अब तक इस मामले में इल्ज़ाम तय नहीं किए हैं और दरखास्त को वापस लेने की मांग की।
इसके बाद बेंच ने निचली अदालत को जल्द इल्ज़ाम तय करने की हिदायत दी। साथ ही दरखास्त वापस लेने की गुजारिश की इज़ाज़त दे दी।
अरुणा ने दिल्ली हाईकोर्ट के हुक्म के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जमानत के लिए दरखास्त दायर की थी। हाईकोर्ट ने चड्ढा की दरखास्त को खारिज कर दिया था।
गौरतलब है कि गीतिका को 5 अगस्त को उनके दिल्ली के अशोक विहार वाकेय् घर पर मरा हुआ पाया गया था। 23 साला एयर होस्टेस ने अपने सुइसाइड नोट में लिखा था कि कांडा और चड्ढा की ज़्यादती की वजह से वह अपनी ज़िंदगी खत्म कर रही हैं।
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