गीलानी पर फ़र्द-ए-जुर्म आइद, वज़ीर-ए-आज़म पाकिस्तान को क़सूर क़बूल नहीं

वज़ीर-ए-आज़म यूसुफ़ रज़ा गिलानी को आज पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने सदर आसिफ़ अली ज़रदारी के ख़िलाफ़ रिश्वत के मुक़द्दमात का अहया करने से इंकार के ज़रीया तहक़ीर अदालत करने पर सरज़निश की, लेकिन परेशानी में घिरे लीडर ने इन इल्ज़ामात का क़सूरवार, सज़ादही का मुस्तहिक़ होना क़बूल नहीं किया, जो उन्हें अपने ओहदा के लिए महंगा पड़ सकता है।

59 साला गिलानी जो बरसर ओहदा रहते हुए फ़ाज़िल अदालत की जानिब से ऐब जोई किए जाने वाले अव्वलीन पाकिस्तानी वज़ीर-ए-आज़म हैं, उन्हें अदालत में तलब किया गया क्योंकि वो ज़रदारी के ख़िलाफ़ क़्रप्शन केसेस दुबारा खोलने के लिए सोइस हुक्काम से तहरीरी तौर पर रुजू होने के लिए ज़ाइद अज़ दो साल से इंकार करते आए हैं।

समाअत के आग़ाज़ पर सात जजों की बंच की सरबराही करने वाले जस्टिस नसीर उल-मलिक ने दो सफ़हात पर मुश्तमिल चार्ज शीट पढ़ कर सुनाई और गिलानी से दरयाफ्त किया कि आया उन्हों ने अपने ख़िलाफ़ इल्ज़ामात का जायज़ा लिया और उन्हें समझा है। इस पर गिलानी ने जवाब में कहा, हाँ। मैंने ये चार्ज शीट पढ़ी और उन्हें समझा है। क्या आप क़सूर क़बूल करते हो? जस्टिस नसीर उल-मलिक ने सवाल किया। गिलानी ने जवाब दिया: नहीं।

अगर क़सूरवार पाए जाएं तो गिलानी को छः माह जेल तक सज़ा हो सकती है और पाँच साल के लिए कोई भी अवामी ओहदा सँभालने के लिए नाअहल हो जाएंगे। अदालत ने बादअज़ां अटार्नी जनरल मौल्वी अनवार उल-हक़ को ये केस आगे बढ़ाने की हिदायत दी, और उन्हें 16 फ़रवरी तक दस्तावेज़ात दाख़िल करने का वक़्त दिया। अदालत ने आइन्दा समाअत केलिए 22 फ़रवरी की तारीख़ मुक़र्रर की और डीफेंस से कहा कि 27 फ़रवरी तक सबूत पेश करे, जिसे 28 फ़रवरी तक कलमबंद किया जाएगा।

इसके बाद गिलानी के ट्रायल केलिए तारीख़ मुक़र्रर होने की तवक़्क़ो है। वज़ीर-ए-आज़म को ताहम मुस्तक़बिल की समाअतों में शख़्सी हाज़िरी से इस्तिस्ना रहेगा। इस सरज़निश के ज़रीया गिलानी के ट्रायल की राह हमवार होना सियासतदानों को रिश्वत की माफ़ी के मसले पर हुकूमत और अदलिया के दरमयान ज़ाइद अज़ दो साल तवील टकराव के एक और बाब का नक़ीब है।

गहरे रंग के सूट के साथ भूरी टाई पहने वज़ीर-ए-आज़म ने ख़ुद अदालत से क़रीबी फ़ासले पर वाक़्य अपनी सरकारी क़ियामगाह से अपनी सफ़ैद एस यू वे ड्राईव की और मुतअद्दिद वुकला हमराह रहे। फ़ाज़िल अदालत ने गुज़शता हफ़्ते तहक़ीर अदालत केस में गिलानी की अपील इन्हें जारी कर्दा समन के ख़िलाफ़ मुस्तर्द कर दी थी।

वज़ीर-ए-आज़म ने कहा है कि अगर अदालत उन्हें क़सूरवार क़रार देती है तो वो ख़ुदबख़ुद पार्लीमेंटीरीन के तौर पर नाअहल होजाएंगे। मोटर क़ाफ़िला अदालत के बाहर सड़क पर रुका जबकि मूसलाधार बारिश की वजह से अब्र-ए-आलूद सुबह का माहौल था। अदालत में अपनी आमद पर गिलानी ने बाहर जमा हुजूम की तरफ़ अपने हाथ लहराए जबकि बड़ी तादाद में भारी मुसल्लह स्कियोरिटी पर्सनल तैनात थे।

हुक्काम ने निगरानी बढ़ाने केलिए हेलीकाप्टर का इस्तेमाल किया जबकि गिलानी की तहक़ीर केस के लिए अदालत में दूसरी हाज़िरी के लिए ख़ुसूसी स्कियोरीटी इक़दामात किए गए। सुप्रीम कोर्ट पाकिस्तान पीपल्ज़ पार्टी ज़ेर क़ियादत हुकूमत पर दबाव डालती आई है कि स्विटज़रलैंड में ज़रदारी के ख़िलाफ़ केसेस दुबारा खोले जाएं क्योंकि इस ने रिश्वत के मुआमले में इस आम माफ़ी को मुस्तर्द करदिया जिस से डसमबर 2009 में ज़रदारी और ज़ाइद अज़ 8,000 दीगर को फ़ायदा पहुंचाया।

ये ऐलान किया जा चुका है कि क़ौमी मुसालहती आर्डीनेंस (एन आर ओ) जो साबिक़ फ़ौजी हुकमरान परवेज़ मुशर्रफ़ की जानिब से 2007 में जारी कर्दा रिश्वत की आम माफ़ी है, ग़ैर दस्तूरी और गै़रक़ानूनी है। गिलानी की फ़ाज़िल अदालत के एन आर ओ फ़ैसले के पैराग्राफ़ 178 पर अमल ना करने पर सरज़निश की गई है।

गिलानी पहली बार इस केस की समाअत केलिए सुप्रीम कोर्ट के रूबरू 19 जनवरी को अपने वकील एतिज़ाज़ अहसन के साथ हाज़िर हुए थे, जो बरसर-ए-इक़तिदार पी पी पी के सीनीयर लीडर और मुल्क के सरकर्दा क़ानून दानों में से हैं। एतिज़ाज़ अहसन ने आज सुबह क़ब्लअज़ीं अपनी क़ियामगाह से रवानगी के वक़्त मीडीया को बताया कि मैं दलील पेश करने जा रहा हूँ कि वज़ीर-ए-आज़म क़सूरवार नहीं हैं & अदालत हमें बताएगी कि वो किस तरह आगे बढ़ना चाहती है।

आज इल्ज़ामात वज़ा किए जाऐंगे और इस के बाद मुल्ज़िम से इस का रद्द-ए-अमल पूछा जाएगा और आया वो इन इल्ज़ामात को क़बूल करता है। पी पी पी को इस मसले पर अमल में पिस-ओ-पेश रहा है क्योंकि सरकर्दा क़ाइदीन का मानना है कि स्विटज़रलैंड में केसिस के बारे में कोई भी कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट को सदारती इस्तिस्ना से मुताल्लिक़ दस्तूरी गुंजाइश की तशरीह का मौक़ा फ़राहम कर देगी।

हुकूमत ने ज़रदारी के ख़िलाफ़ केसेस को दुबारा खोलने से ये कहते हुए इनकार किया है कि सदर को पाकिस्तान और बैरून-ए-मुल्क फ़ौजदारी मुक़द्दमात में मुक़द्दमा बाज़ी से मुकम्मल इस्तिस्ना हासिल है। अदालत ने कहा था कि 6 मिलीयन अमेरीकी डालर जो मुबय्यना तौर पर गै़रक़ानूनी अंदाज़ में मुंतक़िल कर दिए गए, सोइस हुक्काम को मकतूब तहरीर करने पर ही पाकिस्तान को वापस आयेंगे।

ताहम रिपोर्टस में ये बात सामने आई है कि सदर उन्हें उन की मुम्किना सज़ादही के बाद माफ़ करसकते हैं। अल-जज़ीरा को इंटरव्यू में इस सवाल पर आया वो क़सूरवार क़रार दिए जाने पर मुस्ताफ़ी हो जाएंगे, गिलानी ने कहा: यक़ीनन, वैसे इस्तीफ़े की ज़रूरत भी नहीं। अगर मैं क़सूरवार क़रार पाता हूँ तो मुझे रुकन पार्लीमान तक नहीं रहना चाहीए। वज़ीर मज़हबी उमूर ख़ुरशीद शाह जिन्हें वज़ीर-ए-आज़म के ओहदा के लिए मुम्किना मुतबादिल क़रार दिया गया है, उन्हों ने सहाफ़ीयों को बताया कि पी पी पी की जानिब से सोइस हुक्काम को मकतूब तहरीर करने पर के बारे में कोई फ़ैसला फ़ाज़िल अदालत का हुक्मनामा सामने आने पर और दस्तूर की मुताबिक़त में किया जाएगा।

पी पी पी के कलीदी हलीफ़ चौधरी शुजाअत हुसैन (पी ऐम ईल। कियु सरबराह) ने कहा कि गिलानी को पहले भी माज़ी में सज़ाए क़ैद का सामना हुआ था। पी पी पी तर्जुमान क़मर ज़माँ खेरा ने उसे पाकिस्तान की तारीख़ में मनहूस दिन क़रार दिया, लेकिन उम्मीद ज़ाहिर की कि अदालत गिलानी को क़सूरवार नहीं पाएगी। उन्हों ने आज की तबदीलीयों पर रद्द-ए-अमल में कहा कि पहली बार वज़ीर-ए-आज़म पाकिस्तान पर फ़र्द-ए-जुर्म आइद हुआ है।

ये पाकिस्तान की तारीख़ में ख़राब दिन है। वज़ीर‍ ए‍ इत्तेलात फ़िर्दोस ऐवान ने निशानदेही की कि गिलानी ने अदालत का मुकम्मल तौर पर एहतिराम किया और इस के अहकाम की तामील की।