नई दिल्ली, ३० नवंबर, ( पी टी आई) गुजरात की ज़ेली अदालत की जानिब से साबिक़ रियास्ती वज़ीर-ए-दाख़िला अमीत शाह के ख़िलाफ़ मुक़द्दमा की समाअत में ग़ैर जांबदारी ना बरतने का सी बी आई की जानिब से इल्ज़ाम आइद करने पर सुप्रीम कोर्ट ने मर्कज़ी महकमॆ की सरज़निश की।
गुजरात की ज़ेली अदालत ने सुहराब उद्दीन शेख़ की एक फ़र्ज़ी एनकाउन्टर में पुलिस के हाथों हलाकत में अमीत शाह के किरदार के बारे में मुक़द्दमा की समाअत के दौरान सी बी आई के बाक़ौल ग़ैर जांबदार रवैय्या इख़तियार नहीं किया था।
महिकमा की दरख़ास्त प्रका गुजरात में तहत की अदालत ने मुक़द्दमा की कार्रवाई ग़ैर जांबदारी के साथ नहीं चलाई थी समाअत करते हुए सुप्रीम कोर्ट की बंच ने जो जस्टिस आफ़ताब आलम और जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई पर मुश्तमिल थी, महिकमा से ऐसा ब्यान देने पर वज़ाहत तलब की।अदालत ने कहा कि हम जानना चाहते हैं कि क्या आप अदलिया के निज़ाम पर अपना इल्ज़ाम बरक़रार रखना चाहते हैं या उसे हज़फ़ करना चाहते हैं।
बंच ने सी बी आई से वज़ाहत तलब की जबकि हुकूमत गुजरात ने निशानदेही की थी कि महिकमा के इल्ज़ामात जो इस ने सुप्रीम कोर्ट में दरख़ास्त पेश करते हुए आइद किए हैं, गुजरात हाईकोर्ट के हुक्मनामा को चयालनज करते हैं जिस में6साला अमीत शाह को फ़र्ज़ी एनकाउन्टर मुक़द्दमा में ज़मानत मंज़ूर की है।
सुप्रीम कोर्ट की बंच ने सवाल किया कि आप ने ऐसा क्यों कहा? ये तौहीन अंगेज़ है। क्यों और कैसे आप ये बात कह सकते हैं?। अदालत के सवाल का जवाब देते हुए ऐडीशनल सॉलीसिटर जनरल वीवीक तनखा ने सी बी आई की जानिब से पेश होकर कहा कि वो इन इल्ज़ामात के बारे में अदालत को मुतमइन कर देंगी।
वो ये इल्ज़ामात बरक़रार रखना चाहते हैं ताहम हुकूमत गुजरात ने सी बी आई की दरख़ास्त की शिद्दत से मुख़ालिफ़त की और दावा किया कि सी बी आई के आइद करदा इल्ज़ामात आज़ादाना और मुंसिफ़ाना मुक़द्दमा की कार्रवाई के बारे में बेबुनियाद और बद बख्ता ना हैं।
हुकूमत गुजरात ने कहा कि रियासत में मुक़द्दमा की समाअत के दौरान नज़म-ओ-क़ानून के कोई मसाइल मौजूद नहीं हैं और मुक़द्दमा को रियासत से बाहर मुंतक़िल नहीं किया जाना चाहिये।