गुजरात दंगे में 23 दोषी

गुजरात की एक अदालत ने सोमवार को ओडे गांव दंगे में 23 लोगों को दोषी ठहराया, जबकि 23 अन्य को बरी कर दिया। दोषियों में से एक की मौत हो चुकी है। अदालत दोषियों को सजा बाद में सुनाएगी। गोधरा ट्रेन हादसा और सरदारपुरा के भीषण नरसंहार के अलावा दंगों से संबंधित यह तीसरा मामला है, जिसमें विशेष अदालत ने अपना फैसला सुनाया है। इस मामले में कुल 47 लोगों को आरोपी बनाया गया था।

दंगे की जांच सुप्रीमकोर्ट की ओर से गठित विशेष जांच दल [एसआईटी] ने की थी। गोधरा में कार सेवकों से भरी ट्रेन को जलाए जाने के बाद एक मार्च 2002 को ओडे गांव के पिरावली भगोल क्षेत्र में स्थित एक घर में एक समुदाय की महिलाओं और बच्चों समेत 23 लोगों को जिंदा जला दिया गया था।

इस मामले मे कुल मिलाकर 47 लोग आरोपी थे, लेकिन सुनवाई के दौरान एक आरोपी की मौत हो गई थी। विशेष लोक अभियोजक पीएन परमार ने कहा कि 150 गवाहों की गवाही हो चुकी है तथा 170 से अधिक दस्तावेजी साक्ष्य अदालत के समक्ष रखे गए हैं। इसकी सुनवाई वर्ष 2009 के अंत में शुरू हुई थी। मामले की सुनवाई पूरी होने को थी, लेकिन इसी दौरान सुनवाई करने वाले न्यायाधीश ने मई 2011 में व्यक्तिगत कारण बताते हुए अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। इसके बाद इस मामले में पूनम सिंह को न्यायाधीश नियुक्त किया गया और उनके समक्ष सभी जिरह फिर से हुई।

राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार ने विशेष अदालत के इस फैसले का स्वागत किया है। पार्टी के नेता यतिन ओझा ने इस फैसले को न्याय की जीत बताया है। ओझा ने कहा कि यह फैसला साबित करता है कि पीडि़तों के साथ न्याय हुआ है। इस तरह के गंभीर मामलों में फैसला आने में वक्त लगता है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में दंगों के मामले को लेकर 27 साल से सुनवाई जारी है। गुजरात इससे अलग नहीं है। यहां फैसले में देरी हुई है लेकिन एक-एक करके तीन मामलों में फैसला आ चुका है।