बात यहाँ न तो कांग्रेस की है और न ही बीजेपी की बात है देश की तमाम पार्टियों की जो एक दूसरी पार्टी के नेताओं के काले राज़ सिर्फ अपनी राजनीति की दूकान को चलाये रखने के लिए दबाए रखते हैं।
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ऐसा ही कुछ हुआ कांग्रेस के राज में जब गुजरात दंगों का सच नंगा करने का इरादा लिए राणा आयूब ने अपनी किताब को छापने के लिए देश के नामी गिरामी पब्लिशर्स से मुलाकात की।
लेकिन देश की जनता की बदकिस्मती देखिये कि इस सच को सामने लाने के लिए न तो किसी पब्लिशर ने हामी भरी और न ही कांग्रेस सरकार ने इस किताब को प्रकाशित करने की अनुमति दी। सरकार तो बस अमित शाह की करतूतों को छिपा कर उस डर का इस्तेमाल करना चाहती थी ताकि विपक्ष दबा रहे।
लेकिन राणा आयूब वो नाम है जिसने हार मानना नहीं सीखा और 6 साल तक कड़ी मशकत और अनगिनत मुसीबतों के बावजूद खुद के पैसे से ही अपनी किताब प्रकाशित कर डाली महज इसलिए ताकि गोधरा कांड और गुजरात दंगों के पीछे के असली चेहरों को बेनक़ाब किया जा सके।
इस किताब के जरिये राणा आयूब ने ऐसे-ऐसे तथ्यों का खुलासा किया है जिससे गुजरात दंगों की साजिश रचने वाले असली चेहरों पर से नक़ाब हटेगा और मुमकिन है कि अगली खबर मोदी और अमित शाह के आईसीयू में भर्ती होने या दिल का दौरा पड़ने से मौत होने की ही हो।
वैसे तो देश में इस वक़्त विपक्ष का किरदार निभा रही कांग्रेस एक नपुंसक की तरह बर्ताव इस किताब में किये गए खुलासे जनता के मन में तो उबाल ज़रूर पैदा करेंगे इस बात की गारंटी है।