गुजरात दंगों पर पॉलिसी जस की तस: अमेरिका

अमेरिकी सफीर नैन्सी पॉवेल की मुलाकात और इंसानी हुकूक पर अमेरिकी रिपोर्ट से गुजरात के वज़ीर ए आला और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पीएम कैंडीडेट नरेंद्र मोदी का नाम हटा दिए जाने के बावजूद एक अमेरिकी ओहदेदारने इस बात पर जोर दिया है कि गुजरात में हुए 2002 के दंगों को लेकर अमेरिकी रूख में कोई बदलाव नहीं आया है।

महकमा खारेज़ा की तर्जुमान जेन पसाकी ने जुमे के रोज़ नामानिगारों से कहा कि , पालिसी में कोई बदलाव नहीं आया है और न ही यह इदारत में हुई चूक है। नामानिगारों ने पसाकी से गुजरात के पीएम का नाम कांग्रेस को सौंपी गई महकमा खारेज़ा की रिपोर्ट में शामिल न किए जाने के बारे में सवाल किया था। उन्होंने कहा, इंसानी हुकूक की रिपोर्ट 2013 सिर्फ जनवरी से दिसंबर 2013 के बीच हुए वाकियात पर मरकूज़ है।

उन्होंने कहा,आम तौर पर हम माज़ी में हुए वाकियात से मुताल्लिक मुद्दत के दौरान हुए वाकियात पर ताजा जानकारी मुहैया कराते हैं। इसलिए 2002 के कम्युनिटी फसाद की सिम्त में सूरतेहाल साफ है और यह हमारी इंसानी हुकूक रिपोर्ट में हालिया रिपोर्ट के साथ शामिल है। पसाकी ने कहा,इसलिए यह न तो पालिसीयों में और न ही इंसानियत में बदलाव का इशारा है।