गुजरात के एक गांव में दलित युवक की बारात पर कथित रूप से अगड़ी जातियों के लोगों द्वारा पत्थरबाजी के बाद तनाव फैल गया. हालात ऐसे बिगड़े कि पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा. पिछले एक सप्ताह के भीतर राज्य के दलितों के खिलाफ यह चौथी घटना है. मामला अरावली जिले के मोदसा तालुका के खाम्भीसार गांव का है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अगड़ी जाति के लोग दलितों के बारात निकालने के खिलाफ थे और गांव की मुख्य सड़क पर यज्ञ और हवन कर रहे थे, ताकि बारात न निकल सके. बताया जाता है कि दलितों ने रविवार (12 मई) को गांव के जयेश राठौड़ की बारात निकालने के लिए पुलिस से इजाजत ली थी.
दलित दूल्हे के एक दोस्त हर्ष वाघेला के मुताबिक, ऊंची जातियों के गांववालों ने मुख्य सड़क पर कई जगह यज्ञ का आयोजन किया था ताकि बारात जाने से रोकी जा सके. हर्ष ने कहा, “वे (अगड़ी जातियां) नहीं चाहते थे कि हम बारात निकालें और इसीलिए उन्होंने मेन रोड पर कई जगह यज्ञ कराए ताकि बारात ने निकल सके. जब हमारी बारात पटेल फलिया से गुजरी तो पुलिस की मौजूदगी के बावजूद उसे रोका गया. कुछ देर बाद पत्थर फेंके गए और हम में से ज्यादातर लोग बचने के लिए खेतों की तरफ भागे.”
युवक ने कहा कि अगड़ी जाति के लोगों ने यज्ञ करने के लिए पुलिस से कोई इजाजत नहीं ली थी. पत्थरबाजी में कुछ पुलिसकर्मियों समेत कई लोग घायल हो गए. एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) नीरजा गोत्रू के मुताबिक, पत्थरबाजी के बाद पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा. मौके पर अरावली के एसपी मयूर पाटिल ने दल-बल के साथ पहुंच हालात काबू किए. मौके पर डीआईजी भी पहुंच रहे हैं. डीजीपी ने गांव में राज्य रिजर्व पुलिस की एक कंपनी भेजने के आदेश दिए हैं.
हफ्ते भर के भीतर दलितों के खिलाफ चौथी घटना
इससे पहले, रविवार को ही साबरकांठा जिले के सितवड़ा गांव में एक दलित युवक की बारात पुलिस सुरक्षा के बीच निकली. दलितों को डर था कि अगड़ी जाति के लोग हंगामा कर सकते हैं. शुक्रवार (10 मई) को इसी गांव में एक और दलित युवक की शादी भी पुलिस सुरक्षा के बीच हुई थी.
7 मई को मेहसाणा जिले के एक गांव में दलित युवक के शादी में घोड़ी चढ़ने पर अगड़ी जातियों ने पूरे समुदाय का बहिष्कार कर दिया था. मामले में पुलिस ने पांच लोगों को गिरफ्तार किया है. उनपर SC/ST एक्ट की धाराएं लगाई गई हैं.