गुजरात पुलिस टीम पर हमला केस: तीन को दो साल की सज़ाए क़ैद

क्रीमिनल कोर्ट के 8 वीं एडीशनल मेट्रो पोलीटन सेशन जज ने गुजरात पुलिस की टीम पर हमला केस के मुलव्वस मौलाना मुहम्मद नसीरुद्दीन के दो फ़र्ज़ंद एन मुक़ीमुद्दीन यासर और बलीगुद्दीन जाबिर को क़सूरवार ठहराते हुए उन्हें दो साल की सज़ा सुनाई।

इस केस में सईदाबाद के मुहम्मद शफ़ीक़ को भी क़सूरवार ठहराया गया जबकि सिमी के साबिक़ रुकन मोतसिम बिल्लाह और मुहम्मद शकील को अदालत ने बरी कर दिया।

बादअज़ां सज़ा याफ़ता मुल्ज़िमीन को ज़मानत पर रिहा कर दिया गया।10 साल के तवील अर्सा के बाद अदालत ने मुस्लिम नौजवानों के ख़िलाफ़ दर्ज किए गए इक़दामे क़त्ल केस में अपना फ़ैसला सुनाया।

30 नवंबर साल 2004 में मौलाना नसीरुद्दीन को गुजरात की डीटेकशन क्राईम ब्रांच पुलिस उन्हें एक केस में गुजरात मुंतक़िल करने की कोशिश कर रही थी, जिस का मुस्लिम नौजवानों ने एहतेजाज किया था और गुजरात पुलिस की गाड़ी को रोक दिया था।

इस वाक़िये में गुजरात पुलिस ने मौलाना इस्लाही के फ़र्ज़ंद मुजाहिद सलीम आज़मी को गोली मारकर हलाक कर दिया था और मौलाना नसीरुद्दीन को गुजरात मुंतक़िल कर दिया गया था।

दफ़्तर डायरेक्टर जनरल आफ़ पुलिस वाक़्ये लक्कड़ी के पूल के रूबरू किए गए एहतेजाज के ख़िलाफ़ सैफआबाद पुलिस ने एक मुक़द्दमा क्राईम नंबर 882/2004 दर्ज किया था और इस केस में इक़दामे क़त्ल और दुसरे संगीन दफ़आत लगाए गए थे जबकि गुजरात पुलिस की टीम जिस की क़ियादत डी एस पी नरेंद्र कुमार अमीन कर रहा था कि ख़िलाफ़ भी एक क़त्ल का मुक़द्दमा जिस का क्राईम नंबर 883/2004 है , दर्ज किया था लेकिन इस केस में कार्रवाई करने से पुलिस क़ासिर रही। दोनों मुक़द्दमात को स्पेशल इनवेस्टीगेशन टीम के हवाला कर दिया गया था और पुलिस ने इक़दामे क़त्ल केस में मुक़ीमुद्दीन यासर , बलीगुद्दीन जाबिर , मुहम्मद शफ़ीक़, मोतसिम बिल्लाह और मुहम्मद शकील को गिरफ़्तार कर के साल 2010 में दो अलाहिदा चार्ज शीट दाख़िल किए थे।