गुजरात बीजेपी सदर की नामज़दगी पर उलझन

अहमदाबाद: क़ियादत के बोहरान से दो-चार बीजेपी गुजरात यूनिट ऐसे वक़्त नए सदर के इंतेख़ाब के लिए मुश्किलात में घर गई है जबकि साल2001 के बाद से पटेल कोटा एजीटेश‌न तहरीक तहफ़्फुज़ात और मजालिस मुक़ामी के इंतेख़ाबात में शिकस्त के पेश-ए-नज़र सख़्त आज़माईश से गुज़र रही है अगर रियासती यूनिट ने 15जनवरी तिल्संगरात के बाद गुजरात के नए सदर के इंतेख़ाब का ऐलान किया था लेकिन इस ओहदे के लिए मौज़ूं लीडर की निशानदेही और क़तईयत देने से क़ासिर दिखाई दे रही है जबकि आइन्दा साल गुजरात असेम्बली के इंतेख़ाबात मुनाक़िद हो रहे हैं।

मौजूदा रियासती सदर आरसी फ़लडो की मीयाद एक अरसा क़बल ही ख़त्म होचुकी है। एक सीनियर पार्टी लीडर ने बताया कि मर्कज़ी क़ियादत ने किसी भी उम्मीदवार के नाम को क़तईयत नहीं दी है जिसके बाइस रियासत सदर की नामज़दगी में ताख़ीर हो रही है। पार्टी को2001 में इस तरह के बोहरान का सामना था।

उन्होंने बताया कि पार्टी की ये उलझन है कि बीजेपी रियासती सदर की हैसियत से किसी पटेल को या किसी ओबीसी का तक़र्रुर किया जाये क्योंकि पार्टी ने पटेल बिरादरी के लिए तहफ़्फुज़ात फ़राहम करने से यकर इनकार कर दिया है जबकि चीफ़ मिनिस्टर आनंदी बेन पटेल का ताल्लुक़ भी पटेल बिरादरी से है और पार्टी सदारत के एक और पटेल की नामज़दगी दानिशमंदी नहीं होगी ताहम पटेल कोटा एजीटेशन के पेश नज़र पटेल की नामज़दगी कारगर साबित हो सकती है।

पार्टी तर्जुमान टी के जडेजा ने ख़्याल ज़ाहिर किया कि गुजरात की सियासत से वज़ीर-ए-आज़म नरेंद्र मोदी के दरकिनार होजाने के बाद पटेल कोटा एजीटशन और मजालिस मुक़ामी के इंतेख़ाबात में शक्त के नतीजे में बीजेपी एक आज़माईशी दूर से गुज़र रही है जबकि आइन्दा साल असेम्बली इंतेख़ाबात की आमद आमद है।