गुजरात : मुस्लमानों के 31 क़ातिलों को उम्र क़ैद

महसाना 10 नवंबर (पी टी आई) गुजरात की ख़ुसूसी अदालत ने 33 मुस्लमानों को ज़िंदा जला देने के केस में 73 मुल्ज़िमीन के मिनजुमला 31 को आज उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई। 2002 ए- के सरदार पूरा फ़िर्कावाराना फ़सादाद में 42 मुल्ज़िमीन को रिहा कर दिया गया ।

परनसपाल डिस्ट्रिक्ट और सैशन जज एससी सरयू अस्तिव ने मुल्ज़िमीन के कीसकी समाअत के बाद सज़ा का फ़ैसला सुनाया। बादअज़ां उन की सज़ा की नौईयत का ऐलान किया । रहा शूदा 42 के मिनजुमला 11 को सबूत की कमी के बाइस आज़ाद किया गया जबकि 31 को शुबा की गुंजाइश के तहत रिहा किया गया , जिन से कहा गया है कि वो फी कस 25 हज़ार रुपय की ज़मानत दाख़िल करॆ।

अदालत ने इन को हिदायत दी है कि वो अदालत की इजाज़त के बगै़र मुल्क ना छोड़ें। गुजरात फ़सादाद केस में ये पहला फ़ैसला है कि सुप्रीम कोर्ट के मुक़र्रर करदा ख़ुसूसी तहक़ीक़ाती टीम की जानिब से की गई तहक़ीक़ात के बाद अदालत ने ये फ़ैसला सुनाया है। मुजरिमीन की सज़ा का ऐलान किया जाएगा । जिन 31 अफ़राद को मुजरिम क़रार दिया गया है ।

उन पर मुस्लमानों का क़तल करनी, क़तल की कोशिश , फ़साद बरपा करने और ताअज़ीरात-ए-हिंद की दीगर दफ़आत आइद किए गए हैं जबकि अदालत ने उन के ख़िलाफ़ मुजरिमाना साज़िश के इल्ज़ामात को बर्ख़ास्त करदिया ही। गोधरा ट्रेन आतिशज़नी वाक़िया के बाद जिस में 59 अफ़राद हलाक हुए थी, जिन में ज़्यादा तर कारसेवक 27 फरवरी 2002 -ए-को ज़िंदा जल कर हलाक हुए थी, इस के बाद रियासत भर में फ़िर्कावाराना फ़सादाद फूट पड़े थी। फ़सादाद के दौरान वजए पर ताल्लुक़ा में सरदार पूरा टाउन में भी फ़सादाद हुए थे जिस में 33 मुस्लमानों को ज़िंदा जला दिया गया था ।

एक ताक़तवर हुजूम ने 28 फरवरी और यक्म मार्च 2002 -ए-की शब शेख़ वास के नाम से मशहूर गली का मुहासिरा कर के वहां पर मुक़ीम मुस्लमानों को ज़िंदा जला दिया था । फ़सादाद के ख़ौफ़ से मुस्लमानों की बड़ी तादाद ने इबराहीम शेख़ के एक मकान में पनाह ली थी ताहम हुजूम ने इस मकान पर पैट्रोल डालने के बाद आग लगादी जिस में 22 ख़वातीन के बिशमोल 33 अफ़राद हलाक हुए थे । तमाम 76 मुल्ज़िमीन को पुलिस ने सरदार पूरा केस में गिरफ़्तार किया था । इन में दो की मुक़द्दमा के दौरान मौत वाक़्य होगई जबकि एक मुल्ज़िम कमसिन है। इस के ख़िलाफ़ केस जोनील कोर्ट में ज़ेर-ए-समाआत है।

अदालत ने जून 2009-ए-में 73 मुल्ज़िमीन के ख़िलाफ़ इल्ज़ामात वज़ा किए थे और इस केस की कार्रवाई शुरू की थी । इस्तिग़ासा ने इल्ज़ाम आइद किया कि अक़ल्लीयती तबक़ा के अरकान पर हमला मंसूबा बंद था, बाअज़ मुक़ामी लीडरों की साज़िश का भी हिस्सा था। गोधरा ट्रेन आतिशज़नी वाक़िया के बाइस ये कार्रवाई की गई थी । इस्तिग़ासा ने मज़ीद कहा था कि मुल्ज़िमीन को मुक़ामी लीडरों ने हथियार सरबराह किए थी।

मुतास्सिरीन की पैरवी करते हुए वकील वाई बी शेख़ ने कहा कि ज़ाइद अज़ 80 गवाहों ने जो ख़ुद भी तशद्दुद का शिकार हुए हैं, मुल्ज़िमीन के नाम बताए हैं और पुलिस में दिए गए ब्यान के इलावा मुक़द्दमा के दौरान अदालत में मुल्ज़िमीन की दरुस्त निशानदेही की है। मुक़द्दमा की कार्रवाई के दौरान 112 गवाहों की भी जांच की गई है।