गुजरात में इंतिक़ामी सियासत

चीफ़ मिनिस्टर की हैसियत से नरेंद्र मोदी के ज़िम्मेदारी सँभालते ही गुजरात की रियासत ख़बरों में रहने लगी है । वहां मुस्लमानों का क़तल-ए-आम किया गया मुस्लिम नसल कुश फ़सादात हुए तबाहकुन ज़लज़ला आया बम धमाके हुए और अब ये रियासत इस वजह से ख़बरों में है कि वहां इन्साफ़ रसानी का अमल मुम्किन नहीं रहा । हद तो ये होगई कि सरकारी सतह पर इन ओहदेदारों और अफ़राद को निशाना बनाया जा रहा है जो हक़ीक़त ब्यानी से काम लेते हुए चीफ़ मिनिस्टर और उन साथीयों का क़बीह चेहरा दुनिया पर ज़ाहिर करने लगे हैं। ताज़ा तरीन मिसाल गुजरात के सीनीयर आई पी ऐस ओहदेदार मिस्टर संजीव भट्ट की है । मिस्टर भट्ट का जुर्म यही है कि उन्हों ने भी दियानतदारी और हक़ीक़त पसंदी से काम लेते हुए गुजरात के मुस्लिम कश फ़सादाद के दौरान चीफ़ मिनिस्टर नरेंद्र मोदी और उन के साथीयों के रोल को दुनिया के सामने ज़ाहिर करने का फ़रीज़ा अंजाम दिया है । संजीव भट्ट ने ना सिर्फ नानावती कमीशन बल्कि सुप्रीम कोर्ट में भी हलफनामा दाख़िल करते हुए इद्दिआ किया है कि 27 फ़बरोरी 2002 को चीफ़ मिनिस्टर ने एक इजलास तलब करते हुए आली ओहदेदारान पुलिस को हिदायत दी थी कि वो फ़सादाद के दौरान मुस्लमानों की मदद ना करें । हिन्दुवों को उन के ग़म-ओ-ग़ुस्सा के इज़हार का मौक़ा दिया जाय क्योंकि मुस्लमानों को सबक़ सिखाना ज़रूरी होगया है । हुकूमत गुजरात ने संजीव भट्ट के इन इल्ज़ामात की तरदीद की है ताहम इस हलफनामा के इदख़ाल के बाद से मिस्टर संजीव भट्ट को निशाना बनाने का अमल शुरू होचुका है और ये अब अपनी हदों को पहूंचने लगा है । संजीव भट्ट इस हलफनामा और हक़ीक़त ब्यानी के बाद से हुकूमत गुजरात के इताब का शिकार हैं। इन को सब से पहले तो मुअत्तल करदिया गया । मोदी हुकूमत का कहना है कि मिस्टर भट्ट का तर्ज़ अमल एक आई पी ऐस ओहदेदार केलिए मुनासिब नहीं है इसी लिए उन को मुअत्तल किया गया है । मोदी हुकूमत की नज़र में हर आई पी ऐस ओहदेदार को शायद चीफ़ मिनिस्टर और हुकूमत की काली करतूतों पर पर्दा डालने का काम ही करना चाहीए और जो इस के ख़िलाफ़ मौक़िफ़ इख़तियार करते हुए दियानतदारी और हक़ीक़त ब्यानी से काम लेगा इस का हश्र संजीव भट्ट जैसा ही किया जाएगा। मिस्टर संजीव भट्ट ने चीफ़ मिनिस्टर के तलब करदा इजलास में मौजूद रहने का इद्दिआ करते हुए मज़कूरा बाला इल्ज़ामात आइद किए थे । हुकूमत गुजरात का इस्तिदलाल ये है कि संजीव भट्ट इस इजलास में शरीक ही नहीं थे । हुकूमत ने इबतदा-ए-में उन के इल्ज़ामात की तरदीद करने की ज़रूरत नहीं समझी थे । अदालतों में इस का जवाब देने और सही-ओ-ग़लत साबित होने का मौक़ा देने की बजाय नरेंद्र मोदी हुकूमत संजीव भट्ट को निशाना बनाने जैसी ओछी हरकतों पर उतर आई है । सब से पहले तो उन्हें मुअत्तल किया गया और अब उन्हें एक पुलिस कांस्टेबल की शिकायत की बुनियाद पर मुक़द्दमा दर्ज करते हुए जेल भीजदया गया । एक दिन में दो मर्तबा उन के घर पर धावा करते हुए उन के अफ़राद ख़ानदान को हिरासाँ करने का सिलसिला शुरू होचुका है । हद तो ये होगई कि गिरफ़्तारी के बाद समाजी कारकुन मलीका सारा भाई और रियासत के साबिक़ डायरैक्टर जनरल पुलिस मिस्टर आर बेसुरी कुमार तक को मिस्टर भट्ट से मुलाक़ात की इजाज़त नहीं दी गई । इस से हुकूमत के इंतिक़ामी जज़बा और इस की ज़हनीयत की अक्कासी होती है । जिस तरह नरेंद्र मोदी ने मुस्लिम कश फ़सादाद के ज़रीया रियासत भर के मुस्लमानों को ख़ौफ़ का शिकार करके रख दिया था और हर शोबा में उन्हें निशाना बनाया गया था अब वो इसी तरीका-ए-कार को दयानतदार और सच्चाई को बेनकाब करने वाले ओहदेदारों के ख़िलाफ़ इस्तिमाल करते हुए उन के हौसले भी पस्त करना चाहते हैं। मिस्टर मोदी और उन की हुकूमत संजीव भट्ट के ख़िलाफ़ इंतिक़ामी कार्रवाई करते हुए दूसरे ओहदेदारों को भी एक पयाम देना चाहती है कि हुकूमत के ख़िलाफ़ मुंह खोलने की कोशिश की गई तो उन का हश्र भी ऐसा ही होगा । ये तरीका-ए-कार जमहूरी ओहदा और सरकारी मौक़िफ़ के इंतिहाई बेजा और ग़लत इस्तिमाल की एक वाज़िह मिसाल है जो इंतिहाई काबिल-ए-मुज़म्मत है ।