गुजरात में चर्च के बनाने को लेकर तनाव, मूर्तियां तोड़कर बनाए जाने के आरोप फ़र्ज़ी, पुलिस तैनात

गुजरात के डांग जिले स्थित एक गांव में चर्च के निर्माण को लेकर तनाव फैलने की खबर है। मामला सुबीर तालुका के कदमाल गांव का है। गांव के ही निवासी संपत पवार ने शिकायत दर्ज कराई थी कि गांव के इसाइयों ने चर्च बनाने के लिए खुले में रखीं स्थानीय देवताओं की मूर्तियों को नुकसान पहुंचाया। इसके बाद मंगलवार सुबह पुलिस मौके पर पहुंची। हालांकि, पुलिस जब पहुंची तो उसे नागदेव और वाघदेव की मूर्तियां सुरक्षित मिलीं। पुलिस ने चर्च का निर्माण फिलहाल रुकवा दिया है। इसे इन मूर्तियों से 10 फीट की दूरी पर बनवाया जा रहा था। पुलिस का कहना है कि यह जमीन फॉरेस्ट रिजर्व एरिया के अंतर्गत आती है।

इससे पहले, पवार ने सुबीर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी। उसका आरोप था कि गांव के पूर्व सरपंच गणपत चौधरी और उसके सहयोगी सुलेमान चौधरी, विनेश चौधरी, सुरेश चौधरी और गांव के सभी निवासियों ने सड़क के किनारे लगीं नागदेव और वाघदेव की मूर्तियों को नुकसान पहुंचाया है। पवार का आरोप था कि ‘मूर्तियों को हटाने’ के बाद गणपत और उनके लोगों ने उस जगह पर चर्च बनाना शुरू कर दिया। पवार ने चर्च के निर्माण को रोकने की मांग करते हुए पुलिस को पूर्व सरपंच के खिलाफ कड़ा ऐक्शन लेने की मांग की थी। उसका आरोप था कि पूर्व सरपंच ने आदिवासी लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत किया है।

मौके पर जब पुलिस पहुंची तो उसने पाया कि मूर्तियों के नजदीक 20 फीट लंबा और 30 फीट चौड़ा एक निर्माण कराया जा रहा है और मूर्तियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया है। यह निर्माण गणपत चौधरी के घर के नजदीक है जो ईसाई धर्म के अनुयायी हैं। इसके बाद पुलिस ने रिजर्व फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के अधिकारियों को मौके पर पहुंचने के लिए कहा। अधिकारियों ने जांच के बाद पाया कि यह जमीन रिजर्व फॉरेस्ट एरिया की है, जिसके बाद काम रुकवा दिया गया। पुलिस का अब कहना है कि शिकायकर्ता और आरोपी के बीच निजी विवाद मुमकिन है। पुलिस अब गणपत और उनके सहयोगियों के बयान लेने वाली है। पुलिस ने गांववालों से मिलकर शांति बरतने की अपील भी की है।

बता दें कि गांव की आबादी करीब 1 हजार लोगों की है, जिसमें 25 प्रतिशत लोग ईसाई और बाकी आदिवासी हैं। गांव में कोई चर्च नहीं है। ईसाई धर्म अपनाने वाले आदिवासी नजदीक के गांवों में प्रार्थना करने के लिए जाते हैं। डांग जिले में 1998-99 में हुए ईसाई विरोधी दंगों में सुबीर तालुका सबसे बुरी तरह प्रभावित होने वाले तालुकों में शामिल था।