गुजरात में लोक आयुक़्त्त का तक़र्रुर जायज़, हाइकोर्ट का फ़ैसला

अहमदाबाद, १९ जनवरी (पी टी आई) गुजरात की नरेंद्र मोदी हुकूमत को आज ज़बरदस्त धक्का लगा जब रियास्ती हाइकोर्ट ने गवर्नर की तरफ़ से लोक आयुक़्त के तक़र्रुर को अक्सरीयती फ़ैसले के ज़रीया जायज़ क़रार दिया और इस फ़ैसला को चैलेंज करते हुए रियास्ती हुकूमत की तरफ़ से दायर करदा दरख़ास्त को ख़ारिज कर दिया।

सीनीयर जस्टिस वि एम सहाय ने जिन्हें इस मसला पर डीवीजन बंच के मुनक़सिम फ़ैसले के बाद लोक आयुक़्त के तक़र्रुर को चैलेंज करते हुए दायर कर्दा दरख़ास्त पर समात की ज़िम्मेदारी दी गई थी कहा कि में जस्टिस सोनीया गोकानी के एख़तिलाफ़ी नकात से इतेफ़ाक़ नहीं करता जो उन्हों ने डीवीजन बंच के मुनक़सिम फ़ैसले में ज़ाहिर किया था।

जस्टिस वि एम सहाय ने कहा कि में अपने भाई अक़ील क़ुरैशी के नज़रियात से इतेफ़ाक़ करता हूँ। जस्टिस क़ुरैशी ने लोक आयुक़्त के तक़र्रुर को जायज़ क़रार देते हुए इस को दस्तूरी क़रार दिया था। अदालत ने अपने फ़ैसला में कहा कि पस हुकूमत की दरख़ास्त ख़ारिज की जा चुकी है।

गुजरात की गवर्नर कमला बनीवाल ने गुज़श्ता साल 25 अगस्त को रिटायर्ड जस्टिस आर ए महित को लोक आयुक़्त के ओहदा पर मुक़र्रर किया था। ये ओहदा गुज़श्ता 8 साल से मख़लवा था। चीफ़ मिनिस्टर नरेंद्र मोदी की ज़ेर-ए-क़ियादत हुकूमत ने गवर्नर की जानिब से इस को नजरअंदाज़ करते हुए लोक आयुक़्त के तक़र्रुर की हर सतह पर सख़्त मुख़ालिफ़त की थी।

तक़र्रुर के दूसरे ही दिन मोदी हुकूमत की तरफ़ से इस फ़ैसले को अदालत में चैलेंज किया गया था। इस के इलावा गवर्नर के ख़िलाफ़ सयासी मुहिम शुरू कर दी गई थी। क़ब्लअज़ीं 11 अक्टूबर को रियास्ती हाईकोर्ट की डीवीजन बंच ने इस तक़र्रुर के मसला पर एक मुनक़सिम फ़ैसला दिया था।

जस्टिस क़ुरैशी ने गवर्नर के फ़ैसले की ताईद की थी लेकिन जस्टिस सोनीया गोकानी ने तक़र्रुर को कुल अदम करते हुए गवर्नर के इस इक़दाम को ग़ैर दस्तूरी क़रार दिया था। राबिता पैदा करने पर जस्टिस महित ने जिन के तक़र्रुर को जायज़ क़रार दिया गया है, पी टी आई से कहा कि वो फ़ैसला की तफ़सीलात नहीं देखे हैं और क़तई फ़ैसला देखने के बाद ही कोई तबसरा कर सकते हैं।

तीसरे जज के फ़ैसले के बाद ये मसला चीफ़ जस्टिस से रुजू किया जाएगा जो बादअज़ां डीवीझ़न बंच से रुजू करेंगे जो पहले ही मुनक़सिम फ़ैसला दे चुकी है। आख़िर में जस्टिस सहाय के नज़रियात की शमूलीयत के साथ डीवीझ़न बंच रस्मी फ़ैसला देगी और फिर रियास्ती हुकूमत इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकती है।

क़ब्लअज़ीं जस्टिस क़ुरैशी ने अपने फ़ैसले में हुकूमत के इस इस्तिदलाल को मुस्तर्द करदिया था कि गवर्नर ने मजलिस वुज़रा के मश्वरा के मुताबिक़ काम नहीं किया। जस्टिस क़ुरैशी ने इस तास्सुर का इज़हार किया कि गवर्नर से ये नहीं कहा जा सकता कि वो मजलिस वुज़रा के मश्वरा के मुताबिक़ काम नहीं कर रही हैं बल्कि अपनी मर्ज़ी के मुताबिक़ काम कर रही हैं।

लोक आयुक़्त का ओहदा गुज़श्ता आठ साल से मख़लवा था और तक़र्रुर के मसला पर हाइकोर्ट के चीफ़ जस्टिस और रियास्ती चीफ़ मिनिस्टर के दरमयान तात्तुल पैदा हो गया था। चीफ़ जस्टिस ने जस्टिस महित का नाम तजवीज़ किया था लेकिन चीफ़ मिनिस्टर ने इस को मुसत्तर कर दिया था।

जस्टिस क़ुरैशी ने कहा कि जब चीफ़ मिनिस्टर और चीफ़ जस्टिस के माबैन तात्तुल एक ऐसे मरहला पर पहूंच जाता है कि वहां चीफ़ जस्टिस के नज़रिया को बरतरी हासिल रहती है। लेकिन जस्टिस गोकानी ने कहा था कि जस्टिस महित का तक़र्रुर पारलीमानी जमहूरी अमल के मुताबिक़ किया जा रहा था जिस में गवर्नर अपने इख़्तेयारात से तजावुज़ कर रही हैं।

जस्टिस गोकानी ने सख़्त रिमार्क करते हुए कहा था कि दस्तूर या सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसलों के ज़रीया कोई वाज़िह सर अहित नहीं है। गवर्नर का ये फ़ैसला पारलीमानी अमल को पसे पुश्त डालते हुए कहा गया है। कोई अथॉरीटी अगर दस्तूरी गुंजाइशों से तजावुज़ करती है तो इस को रोकने की ज़रूरत होती है।

अदालत किसी जमहूरी ढांचा में उलझन या शश-ओ-पंच की इजाज़त नहीं दे सकती। इस दौरान हुकूमत गुजरात ने गवर्नर की जानिब से लोक आयुक़्त के तक़र्रुर को जायज़ क़रार देने से मुताल्लिक़ रियास्ती हाइकोर्ट के फ़ैसला को दस्तूरी माहिरीन से मुशावरत के बाद सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करने का ऐलान की है।

गुजरात हाइकोर्ट से अक्सरीयती फ़ैसले के तक़र्रुर को जायज़ क़रार देते हुए इस फ़ैसले को चैलेंज करते हुए रियास्ती हुकूमत की तरफ़ से दायर कर्दा अपील को मुस्तर्द कर दिया। हुकूमत गुजरात के तर्जुमान और वज़ीर-ए-सेहत जय नारायण व्यास ने कहा कि हम हाईकोर्ट के फ़ैसले को क़बूल करते हैं लेकिन हमारा नुक्ता उज़्र बरक़रार रहेगा और हम क़ानूनी माहिरीन से मुशावरत के बाद इस फ़ैसला को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करेंगे।