गुजरात में PM मोदी के कार्यक्रम का अमूल के 6 डायरेक्टर्स ने किया बायकॉट

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को आनंद जिले के मोगार में अमूल के अल्ट्रा मॉडर्न चॉकलेट प्लांट का उद्घाटन किया. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक सबसे बड़ी बात ये है कि अमूल डेयरी बोर्ड के 6 डायरेक्टर्स ने प्रधानमंत्री के इस कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया. बोरसड से कांग्रेस के विधायक राजेंद्र सिंह का कहना है कि मैं इस कार्यक्रम में नहीं गया. साथ ही धीरूभाई चावड़ा, जुवंसिन्ह चौहान, राजसुंह परमार, नीताबेन सोलंकी, चंदूभाई परमार सहित पांच अन्य डायरेक्टर्स पीएम के कार्यक्रम में नहीं गए.

मैंने चेयरमैन और प्रबंध निदेशक से कहा कि प्रधानमंत्री के आने से मुझे कोई आपत्ति नहीं है लेकिन अमूल के कार्यक्रम को राजनीतिक नहीं होना चाहिए. उन्होंने कार्यक्रम में अपनी ही वाहवाही की. इस इवेंट से अमूल को कोई फायदा नहीं हुआ. राजेंद्र सिंह अमूल डेयरी बोर्ड के 17 सदस्यों में से एक हैं.

हालांकि अध्यक्ष रामसिंह परमार-जिन्होंने पिछले साल कांग्रेस छोड़ दिया था और पिछले साल के विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी में शामिल हो गए थे. इस कार्यक्रम में बोर्ड के अन्य सदस्यों के साथ उपस्थित रहे और पीएम को माला भी पहनाया. राजेंद्र सिंह ने शनिवार को दावा किया था कि अमूल डेयरी समारोह को बीजेपी ने अपहरण कर लिया. उन्होंने कहा कि पार्टी ने अपने स्थानीय नेताओं के पोस्टर लगाए और कई जगहों पर झंडे लगाए.

मैं पिछले 12 वर्षों से अमूल का उपाध्यक्ष हूं. मेरे पिता भी उपाध्यक्ष थे. इतने सारे प्रधानमंत्री अमूल आए, लेकिन उनके कार्यक्रमों को राजनीतिक रंग देने की कोशिश नहीं हुई. निमंत्रण कार्ड में केवल बीजेपी नेताओं के नाम थे. मंच पर एक ही पार्टी के नेता दिखे. कार्यक्रम के बहिष्कार के कारणों का हवाला देते हुए कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि समारोह में डेयरी द्वारा किसानों के 10-15 करोड़ रुपये खर्च किए गए. आनंद, खेड़ा और वडोदरा के विभिन्न क्षेत्रों के लाखों किसानों ने पीएम को सुना.

गौरतलब है कि चॉकलेट प्लांट का उद्घाटन करने के बाद पीएम मोदी ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि अमूल ब्रांड दुनिया भर में फेमस हो चुका है. यह एक प्रेरणा है. यह सशक्तीकरण का एक बेहतर उदाहरण है. दुनिया के कई भागों में हमने समाजवाद और पूंजीवाद देखा है. लेकिन अमूल के द्वारा सरकार पटेल ने हमें एक अलग रास्ता दिखाया. इसमें ना सरकार और ना उद्योगपतियों का हाथ है.

यह पूरी तरह से लोगों का उद्योग है. यह एक यूनिक मॉडल है. हम जन धन वन धन और गोबर धन पर फोकस कर रहे हैं. यह हमारे किसानों के लिए मददगार होगा. अगले कुछ सालों में अमूल 75 साल पूरे कर लेगा. अपने 75वीं वर्षगांठ पर अमूल ने क्या लक्ष्य तय किए हैं और 2022 के लिए उसके क्या टार्गेट हैं. 2022 में भारत स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा.