गुजरात मॉडल : अब तक दस से भी अधिक फर्जी मुठभेड़ जिसे प्राकृतिक मौत के रूप में परिभाषित किया गया है

अहमदाबाद : विध्य सिंह के ट्वीटर अकाउंट के मुताबिक इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ एक गुजरात मॉडल ही है क्योंकि इसे प्राकृतिक मौत के रूप में परिभाषित किया गया है। लेकिन गुजरात में फर्जी मुठभेड़ अब तक दस से भी ज्यादा है! #AbTakDas हैसटैग से इसे सोशल मीडिया ट्वीटर पर फॉलो किया जा सकता है। सोहराबुद्दीन की मुठभेड़ फर्जी और रची गई थी लेकिन बाद में राज्य ने स्वीकार किया कि यह वास्तव में फर्जी मुठभेड़ का मामला है। अहमदाबाद क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने 15 जून, 2004 को शहर के बाहरी इलाके में महाराष्ट्र के मुम्ब्रा की 19 वर्षीय कॉलेज छात्रा इशरत जहां, उसके दोस्त जावेद शेख उर्फ प्रणेश, जीशान जोहर और अमजद राणा को कथित फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया था.

अदालत के पांडे को बरी करने के फैसले के बाद शमीमा की वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा, ‘पीपी पांडे के बरी होना दिखाता है कि इशरत जहां फर्जी एनकाउंटर और हत्या मामला सोहराबुद्दीन मामले की राह पर जा रहा है, जहां पहले प्रभावशाली आरोपी बरी हुए, फिर गवाह बयान से पलट गए. क्या ये भी उसी रास्ते पर जाएगा? पैटर्न बिल्कुल वही है.’ आने वाले दिनों में जांच की दिशा क्या होगी इसके लिए हमें इंतजार करना होगा पर सीबीआई के इरादों से यह स्पष्ट है कि वो सोहराब मामले में राजनीतिक साजिश ढूंढना चाहती है।

यदि आप गुजरात में मोदी मॉडल की बात करें तो यह पूरी तरह से झूठ है. चाहे सभी के बैंक खातों में 15 लाख रुपये डालने की बात हो या 2जी हो या मोदी मॉडल हो, वे सब योजना थी. अब एक के बाद एक सब झूठ सामने आ आए. मोदी के गुजरात मॉडल में कितना फैक्ट है और कितना फिक्शन इसकी तहक़ीक़ात केवल चुनावों में मिलने वाली हार-जीत से केवल नहीं की जा सकती. इसकी छानबीन तथ्यों और ज़मीनी हक़ीक़त के आधार पर करना होगा जिनके होने का दावा इस मॉडल में बीजेपी ने किया है.

और हाँ, गुजरात की प्राकृतिक और भौगोलिक ख़ासियत का श्रेय मोदी तो नहीं ले सकते. आर्थिक सर्वे के अनुसार 1995 से 2005 के बीच गुजरात में रोजगार वृद्धि दर 2.6 फ़ीसदी रही जबकि हरियाणा में यह दर 36.7 फ़ीसदी थी. यह वृद्धि दर कर्नाटक में 29.8 फ़ीसदी, आंध्र प्रदेश में 27.7 फ़ीसदी और 24.9 फ़ीसदी तमिलनाडु में रही. दूसरी तरफ़ फैक्ट्री में मिलने वाले रोजगारों में भी कमी आई है. 1960-61 में गुजरात में प्रति फैक्ट्री 99 लोगों को रोजगार मिलता था जो 2005 में यह संख्या घटकर 59.44 हो गई. जबकि इन फैकट्रियों में औसत पूंजी निवेश ढाई गुनी बढ़ी है. इस तथ्य को ख़ुद गुजरात सरकार ने भी स्वीकार किया है.स्वास्थ्य पर अपनी जीडीपी और प्रति व्यक्ति आय का जितना हिस्सा गुजरात में खर्च किया जाता है उस मामले में यह आठवें नंबर पर है. 2011 की जनगणना के अनुसार 2001 से 2011 तक भारत के लिंगानुपात में सुधार हुआ जबकि गुजरात में गिरावट आई.

विडियो में देखें, ध्रुव राठे द्वारा गुजरात मॉडल की वास्तविकता

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