सुप्रीम कोर्ट ने जुमा को 1993 में सूरत के दोहरे बम धमाकों में मुजरिम ठहराए गए तमाम 11 आदमियों को बरी कर दिया| टाडा अदालत ने उन लोगों को 10 साल से लेकर 20 साल की मुद्दत तक की सज़ा सुनाई थी| धमाकों में एक लड़की की मौत हो गई थी और 31 दीगर ज़ख़मी हो गए थे|
सुप्रीम कोर्ट का ये फ़ैसला गुजरात हुकूमत के लिए बड़ा धक्का है| जस्टिस टीएस ठाकुर की सदारत वाली बेंच ने मुल्ज़िमान और गुजरात हुकूमत की दरख़ास्तों पर समाअत करते हुए ये फ़ैसला दिया| मुल्ज़िमान ने मुआमले में टाडा कोर्ट के फ़ैसले को चैलेंज किया था|
अयोध्या में वाके मुतनाज़ा ढांचा के इन्हिदाम के बाद भडके फ़िर्कावाराना फ़सादात के दौरान जनवरी 1993 में सूरत के वराछा इलाक़े और सूरत रेलवे स्टेशन के पलेटफर्म नंबर 1 पर दो बम धमाके हुए थे| वराछा में हुए धमाके में स्कूली तालिबा अल़्पा पटेल की मौत हो गई थी और 11 दीगर ज़ख़मी हो गए थे| रेलवे स्टेशन पर हुए धमाके में तक़रीबन 20 अफ़राद ज़ख़मी हुए थे|
अक्तूबर 2008 में सूरत वाके टाडा अदालत ने कांग्रेस के साबिक़ वज़ीर मुहम्मद सुरती समेत पाँच अफ़राद को 20 साल क़ैद की सज़ा सुनाई थी जबकि दीगर को 10 साल क़ैद की सज़ा सुनाई गई थी|