गुजरात से आसाम तक कांग्रेसियों के सर पर गानधयाई टोपी और अंदर आर ऐस एस की ख़ाकी नेकर

आसाम के बदतरीन फ़सादात और मुल़्क की तारीख़ में अब तक के सब से बड़े नक़ल मुक़ाम के बावजूद मर्कज़ी और रियास्ती हुकूमत का तर्ज़ अमल देख कर ऐसा महसूस होता है कि उन्हें मुतास्सिरीन के मसाइब-ओ-मुश्किलात की कोई परवाह नहीं। कांग्रेस पार्टी ने गुजरात के फ़सादात और मुस्लमानों की नसल कुशी (कत्ल आम)पर काफ़ी हंगामा मचाया लेकिन अब जबकि आसाम मैं ख़ुद कांग्रेस हुकूमत है और मर्कज़ में भी यही जमात इक़तिदार पर है, इतने बड़े फ़सादात के बावजूद अमली काम नहीं किए जा रहे हैं।

ऐसा लगता है कि गुजरात से लेकर आसाम तक और गोधरा से लेकर बोडोलैंड तक कांग्रेसी अपने सरों पर गानधयाई टोपी पहने और अंदर आर ऐस एस की ख़ाकी नेकर में मलबूस हैं। इन के तर्ज़ अमल को देख कर ऐसा महसूस हो रहा है कि मुतास्सिरीन की मुश्किलात कम करने और फ़सादात पर क़ाबू पाने के लिए जुरत मनदाना फ़ैसलों की इन में सलाहीयत नहीं।

सियासत की सह रुकनी टीम ने जिन में जनाब ज़हीर उद्दीन अली ख़ान मनीजिंग ऐडीटर, जनाब हयात हुसैन हबीब और जनाब अबदुल वहीद शामिल हैं आज भी अज़ला कोकराझार, जोनगाई और जर्क में रीलीफ़ कैम्पों का दौरा किया। यहां मुतास्सिरीन कसमपुर्सी, सेहत-ओ-सफ़ाई के मसाइल और तारीक मुस्तक़बिल के अंदेशों के तहत ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं।

ज़िला धोबरी मैं बिलास पूर पब्लिक हाई स्कूल में वाक़ै रीलीफ़ कैंपस में टीम ने देखा कि हर तरफ़ गंदगी फैली हुई है, कैंप के खुले हिस्सा में लोग पकवान कर रहे हैं और अगर यहां बारिश हो जाए तो फिर उन की मुसीबतों में और इज़ाफ़ा हो जाएगा। सफ़ाई ना होने की वजह मच्छरों की कसरत हो गई है और कई शीरख़ार बीमार हैं। एक अंदाज़ा के मुताबिक़ रीलीफ़ कैम्पों में कई शीरख़वार और कमसिन बच्चों की तिब्बी सहूलयात ना होने की वजह से मौत हो चुकी है।

दवाओं की भी शदीद क़िल्लत पाई जाती है। हुकूमत ने मुतास्सिरीन को मच्छर दान फ़राहम करने का दावा किया लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया गया। हुकूमत ने 4.80 लाख मुतास्सिरीन मैं निस्फ़(आधा) से ज़ाइद अपने घरों को वापिस करने का वादा-किया था हक़ीक़त ये है कि 83 के मिनजुमला सिर्फ़ 6 कैंपस के मुतास्सिरीन वापिस हुए हैं।

ये कैंपस अमलन दो हिस्सों में मुनक़सिम हैं क्योंकि आर ऐस ऐस और वी एच पी जैसी फ़िकापरस्त तंज़ीमों ने दानिस्ता तौर पर कई बोडोज़ को यहां रवाना किया है जबकि हक़ीक़ी बोडो मुतास्सिरीन की तादाद बिलकुल कम है। इन कैंपस में हिन्दू तंज़ीमों के कारकुन मुस्लमानों के ख़िलाफ़ ज़हर अफ़्शानी कर रहे हैं और उन का लिटरेचर तक़सीम किया जा रहा है। दूसरी तरफ़ मुस्लिम मुतास्सिरीन के कैंपस में मायूसी पाई जाती है।

इस के इलावा ना सिर्फ मुस्लमानों बल्कि दीगर कबायलियों में भी बोडोलैंड इलाक़ाई कौंसल मुआहिदा के ताल्लुक़ से शदीद ब्रहमी का इज़हार किया जा रहा है। ये मुआहिदा 2003-में उस वक़्त के मर्कज़ी वज़ीर-ए-दाख़िला (गृह मंत्री) एल के अडवानी की ईमा पर तए पाया था और तरूण गोगोई ने हामी भरी हालाँकि 75 फ़ीसद आबादी उस की मुख़ालिफ़त की थी।

इस मुआहिदा के तहत 25 फ़ीसद बोडो को फ़वाइद और कई इख़्तयारात दिए गए। आज बोडो के पास असलहा हैं, इंतिज़ामीया पर उन की गिरिफ़त मज़बूत है और इंतिहापसंद सरगर्मीयों के ज़रीया उन्हों ने इस क़दर अपना असर-ओ-रसूख़ बढ़ा लिया है कि इलाक़ा में ज़मीन की ख़रीदी, किसी मुआमला की यकसूई और यहां तक कि सरकारी मुलाज़मीन से भी वो अपना हिस्सा तलब करते हैं। सियासत टीम ने कबायलियों से मुलाक़ात की और इस मुआहिदा के ख़द्द-ओ-ख़ाल पर बात हुई।

इस मौक़ा पर कबायलियों ने भी ब्रहमी का इज़हार करते हुए कहा कि वो अंदरून दस यौम गोल मेज़ कान्फ़्रैंस मुनाक़िद करते हुए लाह -ए-अमल को क़तईयत देंगे। बोडो मुआहिदा को क़तईयत देने वाले वज़ीर-ए-सेहत हमनता बिस्वा सरना और चीफ़ मिनिस्टर के माबैन सियासी इख़तिलाफ़ात भी पाए जाते हैं जिन का ख़मयाज़ा मासूम अवाम भगत रहे हैं।