गुजरात फ़र्ज़ी एनकाउंटर्स जस्टिस बेदी सदर नशीन निगरान कार अथॉरीटी नामज़द

सुप्रीम कोर्ट ने आज साबिक़ सुप्रीम कोर्ट जज मिस्टर जस्टिस एच एस बेदी को इस निगरान कार अथॉरीटी का सदर नशीन नामज़द किया है जो गुजरात में 2002 से 2006 के माबेन पेश आए मुबय्यना फ़र्ज़ी एनकाउंटर्स हलाकतों की तहकीकात करेगी । अदालत ने कहा कि वो चाहती है कि इन फ़र्ज़ी एनकाउंटर्स मुक़द्दमात की तहकीकात की निगरानी कोई इसी शख्सियत की जानिब से की जाय जो किसी भी शक-ओ-शुबा से बिलकुल्लिया बाला-ए-तर हो।

जस्टिस आफ़ताब आलम और जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई पर मुश्तमिल एक डवीज़न बंच ने कहा कि तहकीकात की निगरानी शक-ओ-शुबा से बालातर शख़्स को सौंपने के मक़सद से जस्टिस बेदी से दरख़ास्त की जाती है कि वो मुबय्यना फ़र्ज़ी

एनकाउंटर्स की शिकायात की तहकीकात के अमल की निगरानी की ज़िम्मेदारी कुबूल करें। अदालत से हुकूमत ने दरख़ास्त की थी कि सदर नशीन के तक़र्रुर के मसला को 12 मार्च तक मुल्तवी कर दिया जाए। ताहम अदालत ने हुकूमत की इस दरख़ास्त को मुस्तर्द करते हुए आज ही जस्टिस बेदी को इस अथॉरीटी का सदर नशीन नामज़द कर दिया है जो फ़र्ज़ी एनकाउंटर्स की तहकीकात की निगरानी करेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने हुकूमत गुजरात से भी कहा कि जस्टिस बेदी को मुकम्मल सहूलयात फ़राहम की जाएं और उनसे हर तरह का तआवुन किया जाए ताकि वो इन मुक़द्दमात की बामानी और मूसिर तहकीकात को यक़ीनी बना सकें। बंच ने कहा कि ये निगरान कार अथॉरीटी अपनी उबूरी रिपोर्ट अंदरून तीन माह पेश करेगी। अदालत ने ये भी वज़ाहत की कि इस ने 25 जनवरी को जो हुक्मनामा जारी किया था वो कारकर्द रहेगा और इस पर अमल आवरी की जाएगी।

बंच ने इस बात पर नाराज़गी का इज़हार किया कि साबिक़ सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस एम बी शाह की जानिब से इस अथॉरीटी के सदर नशीन की हैसियत से इस्तीफ़े देने के बाद हुकूमत गुजरात की जानिब से बंबई हाइकोर्ट के साबिक़ चीफ जस्टिस जस्टिस के आर व्यास को सुप्रीम कोर्ट से मश्वरा के बगैर इस अथॉरीटी का सदर नशीन नामज़द कर दिया गया था।

सुप्रीम कोर्ट की बंच ने 25 जनवरी को अपने फैसले में निगरान कार अथॉरीटी से कहा था कि वो फ़र्ज़ी एनकाउंटर्स की शिकायतों से मुताल्लिक़ शिकायात की तहकीकात पर अपनी उबूरी रिपोर्ट अंदरून तीन माह पेश करे। शिकायात में कहा गया था कि इकलेती बिरादरी के अफ़राद को दहश्तगर्द क़रार देते हुए इन मुबय्यना फ़र्ज़ी एनकाउंटर्स में हलाक कर दिया गया था।

सुप्रीम कोर्ट बंच से नर सहाफ़ी मिस्टर बी जी वरघेस और शाय-ओ-गुलूकार जावेद अख्तर की मफ़ाद-ए-आम्मा की दरख़ास्तों की समाअत कर रही है जिस में इस्तेदा की गई है कि अदालत सी बी आई को तहकीकात की हिदायत दे ताकि हक़ायक़ को मंज़रे आम पर लाया जा सके। मिस्टर जावेद अख्तर ने अपनी दरख़ास्त में एक मुबय्यना मुल्ज़िम समीर ख़ान की अक्टूबर 2002 में हलाकत के ताल्लुक़ से मीडिया रिपोर्टस और एक न्यूज़ मैग्ज़ीन की जानिब से किए गए स्टिंग ऑपरेशन का हवाला भी दिया है ।

बंच ने अपने हुक्मनामा में मिस्टर जावेद अख्तर की शिकायात को नोट किया है और ये भी नोट लिया गया है कि हुकूमत गुजरात की जानिब से इस मुबय्यना फ़र्ज़ी एनकाउंटर की पर्दापोशी की कोशिश की जा रही है। जावेद अख्तर ने अपनी दरख़ास्त समाजी कारकुन शबनम हाश्मी के साथ दायर की है और उनका इल्ज़ाम है कि ये वही पुलिस अहलकार हैं जिन्होंने सुहराब उद्दीन शेख को एक फर्जी एनकाउंटर में हलाक कर दिया था और बाद में इनकी शरीक ए हयात कौसर भी का भी क़त्ल कर दिया गया था।