गुजरात फ़सादाद के शिकार अंसारी को अपनी तस्वीर से नफ़रत

अहमदाबाद ०८ फरवरी (पी टी आई) रुसवाए ज़माना गुजरात फ़सादाद 2002 की इंसानियत सोज़ दास्तानों की मुंह बोलती तसावीर की तलाश के दौरान गूगल इमेजेस पर बार बार उभरने वाला एक चेहरा दरअसल एक मायूस-ओ-परेशान हाल शख़्स का पोर्टरेट है जिस की आँख से आँसू बह रहे हैं और वो जुनूनी हुजूम के दीवाना वार हमलों से अपने ख़ानदान को बचाने के लिए सिक्योरिटी फोर्सेस से अपने दोनों हाथ जोड़ कर मदद के लिए गिड़गिड़ा रहा है।

अहमदाबाद के इलाक़े राखयाल का क़ुतुब उद्दीन अंसारी अगरचे अपनी इस यादगार तस्वीर मुल्क के अख़बारात और टेलीविज़न चैनलों पर पेशकशी के बाद सेलीब्रेटी (celebrity)तो बन गया इस के साथ ये एक आम टेलर किसी संगीन अलमीया की अलामत भी बन गया। लेकिन क़ुतुब उद्दीन अंसारी आज अपनी ही इस तस्वीर से सख़्त नफ़रत करता है।

आम लोग जब सड़कों पर उस को देख कर पहचान लेते हैं तो वो इस बात को नापसंद करता है लेकिन इस के सेलीब्रेटी रुतबा के सिक्का का दूसरा रुख़ इंतिहाई घिनौना और पुरख़तर है। 2008 के अहमदाबाद सिलसिला वार धमाकों के बाद एक दहश्तगर्द तंज़ीम इंडियन मुजाहिदीन ने अपने भेजे गए एक ई मेल में इन धमाकों के दौरान महलूक की नाश पर आह-ओ-ज़ारी करते हुए एक हिन्दू शख़्स के साथ क़ुतुब उद्दीन अंसारी की वो गुड़गुड़ाती तस्वीर भी पेश किया था।

जिस से ये पैग़ाम वाज़िह था कि ये धमाके उन फ़सादाद का इंतिक़ाम हैं । इस वाक़िया पर जारी करदा मेल में अपनी तस्वीर की शमूलीयत की इत्तिला क़ुतुब उद्दीन अंसारी के होश उड़ाने के लिए काफ़ी थी, अगरचे क़ुतुब उद्दीन गुजरात फ़सादाद के बाद कोलकता मुंतक़िल हो गया था लेकिन अब वो दुबारा अपने टाउन पहूंच चुका है और अपने घर में मुक़ीम है।

यहाँ तक कि बी जे पी भी क़ुतुब उद्दीन अंसारी की तस्वीर की एहमीयत का फ़ायदा उठाना चाहती है। इस ने कहा कि चीफ़ मिनिस्टर की सदभावना यात्रा के दौरान उस को मोदी के साथ ठहरने के लिए मजबूर किया गया था लेकिन वो ऐसा करना नहीं चाहता इस का कहना है कि वो अपने काम और अरकान ख़ानदान के साथ ख़ुश है।
क़ुतुब उद्दीन अंसारी जो माज़ी में कई आलाम-ओ-मसाइब का सामना कर चुका है कहा कि अब वो मज़ीद कोई नई परेशानी मोल लेना नहीं चाहता।

क़ुतुब उद्दीन अंसारी ने कहा कि वो मोदी की सदभावना याद दहश्तगर्दों का निशाना या अलामत बनना नहीं चाहता। हालाँकि अंसारी की मुंह बोलती तस्वीर इस हद तक ताक़तवर है कि इस तस्वीर ने 2004 के इंतेख़ाबात में हलक़ा कोलकता से सी पी आई (ऐम) के मुहम्मद सलीम को तृणमूल कांग्रेस के अजीत कुमार पांजा जैसे ताक़तवर ज़मींदार को शिकस्त देने में मदद की थी।

2002 के गुजरात फ़सादाद के बाद अंसारी का ख़ानदान 2003में कोलकता मुंतक़िल हो गया था जहां कामरेड मुहम्मद सलीम ने अंसारी को टेलर की दूकान लगाकर दी थी। इस इलाक़ा में मुस्लमानों की 20 फ़ीसद आबादी थी और इंतेख़ाबी मुहिम के दौरान वोटरों को राग़िब करने के लिए क़ुतुब उद्दीन अंसारी की ब्रैंड तस्वीर का भरपूर इस्तेमाल किया गया था। बहरहाल अंसारी दो साल क़बल अपने मुक़ाम को वापस होचुका है।

वो अभी भी मीडीया से बचने की कोशिश करता है इस का कहना है कि हर बार जब ये तस्वीर मंज़रे आम पर आती है मुझे बहुत कुछ समझाना पड़ता है जिस से वो बेज़ार हो चुका है। इतना सब कुछ होने के बावजूद ये भी एक मज़हकाख़ेज़ हक़ीक़त है कि क़ुतुब उद्दीन अंसारी को हुकूमत से ताहाल कोई मुआवज़ा नहीं मिल सका है।