अहमदाबाद :देश में गाय की सुरक्षा और गौरक्षकों की किरदार पर शुरू हुई बहस के बीच गुजरात हाई कोर्ट ने बुधवार को कथित गौरक्षकों की किरदार पर कड़ा रुख अपनाया. मामला दो महीने पुराना है गौरक्षकों ने 150 किलो गोमांस से लदी हुई एक रिक्शा को पकड़ा था, कालुपुर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज की गयी थी.
पुलिस ने मामले में पांच आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज करते हुए चार को गिरफ्तार भी किया था. पांचवें आरोपी गोसमोहम्मद गुलाम कुरेशी ने गिरफ्तारी से बचने के लिए हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी. जिस की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने सवाल किया कि आखिर गौरक्षकों को गोमांस पकड़ने का अधिकार किसने दिया है? कोर्ट ने यह भी सवाल भी उठाया कि आखिर गौरक्षक, शिकायत में पुलिस की तरह के शब्दों का प्रयोग कैसे कर सकते हैं?
सुनावाई के दौरान सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि कालुपुर पुलिस स्टेशन की सीमा में गौरक्षको ने 150 किलो गोमांस पकड़ा था जिस की शिकायत पुलिस में दर्ज करायी गयी, गौरक्षकों की जानकारी के आधार पर पुलिस ने मामले की जांच शुरू की. इस पर जस्टिस परेश उपाध्याय ने कड़ा रुख अपनाते हुए पूछा, ‘गौरक्षक शिकायत में ट्रैप, वॉच जैसे शब्दों का इस्तमाल कैसे कर सकते हैं. गौरक्षकों को गोमांस पकड़ने का अधिकार किसने दिया, अदालत को पहले इस बात से अवगत कराएँ. जस्टिस परेश उपाध्याय की अदालत ने इस मामले में सरकार को नोटिस जारी किया है.