नई दिल्ली, ०२ डसमबर (पीटीआई) साबिक़ वज़ीर-ए-आज़म आई के गुजराल की मुल्क की सरकर्दा क़ियादत बिशमोल सदर जमहूरीया परनब मुखर्जी और वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह की मौजूदगी में मुकम्मल सरकारी एज़ाज़ के साथ आख़िरी रसूमात अंजाम दी गईं।
दुआएं इजतिमाआत और इक्कीस तोपों की सलामी के बाद दरयाए यमुना के किनारे समृति स्थल पर उनकी नाश को सपुर्द आग किया गया। इस मौक़ा पर नायब सदर जमहूरीया हामिद अंसारी और सदर नशीन यू पी ए सोनीया गांधी भी इस मौक़ा पर मौजूद थे।
आई के गुजराल के दो लड़कों बिशमोल अकाली दल एम पी नरेश गुजराल और उनके पोते ने आख़िरी रसूमात अंजाम दी। वज़ीर-ए-दिफ़ा ए के अंटोनी, वज़ीर-ए-दाख़िला सुशील कुमार शिंदे, वज़ीर कॉमर्स आनंद शर्मा, वज़ीर-ए-क़ानून अश्वनी कुमार , मर्कज़ी वुज़रा फ़ारूक़ अबदुल्लाह, जय पाल रेड्डी, बी जे पी लीडर्स एल के अडवानी, अरूण जेटली, चीफ़ मिनिस्टर पंजाब प्रकाश सिंह बादल और दीगर सीनीयर सयासी क़ाइदीन के इलावा ओहदेदारान की कसीर तादाद शरीक थी।
मुख़्तलिफ़ ममालिक के सिफ़ारतकारों ने भी आख़िरी रसूमात में शिरकत की। आई के गुजराल की नाश को तिरंगा पर्चम में लपेट कर रिहायश गाह से शमशान घाट लाया गया। फ़ौजी ओहदेदार और क़रीबी अरकान ख़ानदान इस मौक़ा पर मौजूद थे। 92 साला गुजराल ने 1990 के अवाख़िर दहिय में मख़लूत हुकूमत की क़ियादत की थी और पड़ोसी ममालिक के साथ बेहतर रवाबित उस्तिवार करने के मक़सद से उन्होंने पाँच उसूल अपनाए जिसे गुजराल डाक्ट्रीन (doctrine) का नाम दिया गया था।