गुलबर्गा के नाम की तबदीली की मुख़ालिफ़त

अहमद सीनीयर लीडर ने गुलबर्गा का नाम तबदील कर के उसे कलबर्गी क़रार देने के रियासती हुकूमत के इक़दाम की पुरज़ोर मुख़ालिफ़त की है उन्होंने अपने एक बयान में कहा है कि गुलबर्गा एक तारीख़ी नाम है गुलबर्गा से पहले बहमनी दौर-ए-हुकूमत में गुलबर्गा का नाम हुस्नबाद था हज़रत ख़्वाजा बंदा नवाज़गीसदाज़ की आमद के बाद इस शहर का नाम गुलबर्गा मशहूर हुआ।

गुलबर्गा यानी फूल और पत्तियों वाला शहर, यक़ीनन हज़रत ख़्वाजा बंदा नवाज़ के फै़जे आम से ये शहर सरसब्ज़-ओ-शादाब होगया और फूला फुला। रियासत की कांग्रेस हुकूमत ने गुलबर्गा को कलबर्गी क़रार देकर आज के तरक़्क़ी याफ़ता गुलबर्गा शहर को एक छोटे से गुमनाम इलाके में तबदील कर दिया है जहां पत्थरों के सिवा कुछ नहीं था, बल्कि गुलबर्गा को कलबर्गी क़रार देकर पत्थरों के दौर में पहुंचा दिया।

शकील अहमद ने रियासत की कांग्रेस हुकूमत पर फ़िर्कापरस्तों के आगे गठने टेकने और फ़िर्कापरस्तों के एजंडा पर अमल करने का इल्ज़ाम आइद करते हुए कहा हैके महाराष्ट्र असेंबली चुनाव में कांग्रेस की जो दुर्गत बनी है इस से कर्नाटक की कांग्रेस हुकूमत को सबक़ सीखना चाहीए और गुलबर्गा का नाम तबदील करने का फ़ैसला फ़ौरी वापिस लेना चाहीए वर्ना आने वाले चुनाव में कांग्रेस को कर्नाटक के इक़तिदार से भी हाथ धोना पड़ेगा।