गुलबर्गा सोसायटी केस: गुजरात पुलिस को कोर्ट ने दिया क्लीन चिट

गुलबर्ग केस में 24 दोषियों को सजा सुनाने वाली स्पेशल एसआईटी कोर्ट ने इस मामले में गुजरात पुलिस को क्लीन चिट दी है। गुजरात पुलिस पर 2002 में हुए दंगों के दौरान निष्क्रिय रहने और बड़ी साजिश में शामिल रहने के आरोप लगाए जाते रहे हैं। गुलबर्ग सोसायटी दंगे में किसी बड़ी आपराधिक साजिश के दावे को खारिज करते हुए एसआईटी के जज पीबी देसाई ने शुक्रवार को कहा, ‘मेरी राय में इसे लेकर विवाद समाप्त होना चाहिए।

गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार में जीवित बचे पीड़ितों ने कई बार अदालत से मांग की थी कि गुजरात के पुलिस के तत्कालीन वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ घटना के दौरान निष्क्रिय रहने और कर्तव्य की उपेक्षा करने के आरोपों में मामला चलाया जाना चाहिए। पीड़ितों ने कई बार मांग की कि इस मामले में तत्कालीन अहमदाबाद पुलिस कमिश्नर पीसी पांडे, संयुक्त पुलिस कमिश्नर एमके टंडन, डीसीपी पीबी गोंधी और पूर्व जांचकर्ताओं के खिलाफ ट्रायल चलना चाहिए।

अदालत ने सभी मौकों पर पीड़ितों की इस मांग को खारिज किया है। यही नहीं दंगे की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित एसआईटी ने भी प्रत्यक्षदर्शियों की गवाही के आधार पर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के खिलाफ क्रिमिनल केस चलाने का विरोध किया है।

नरसंहार में मारे गए कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया ने तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अफसरों, नौकरशाहों और सीएम नरेंद्र मोदी समेत राजनेताओं के खिलाफ क्रिमिनल केस चलाए जाने की मांग की थी।