नई दिल्ली: गुलबर्ग सोसायटी दंगा समेत कई मामलों की जांच करने वाली एसआईटी के चीफ रहे आरके राघवन ने फैसले पर निराशा जताई है। सीबीआई के पूर्व निदेशक ने दंगे का आरोपी 60 लोगों में से 36 को बरी किए जाने पर निराशा जताते हुए कहा कि वह इस बारे में फैसला लेंगे कि क्या बरी किए गए लोगों के खिलाफ अपील की जा सकती है। राघवन ने कहा, ‘इस फैसले पर लोगों को मिश्रित प्रतिक्रिया है। मैं कुछ लोगों को छोड़े जाने से थोड़ा निराश हूं। यह खेल का हिस्सा है और आप हमेशा जीतते ही नहीं हैं। इस फैसले से न ही मैं खुश हूं और न निराश हूं।
राघवन ने कहा कि जांच अधिकारी के तौर पर तथ्यों को जुटाने और अदालत के समक्ष रखने का काम उन्होंने पूरी तत्परता से किया। लेकिन उसने हमारी स्टोरी को मानने से इनकार कर दिया। लेकिन कोर्ट ने सभी लोगों को बरी न करके हमें आंशिक रूप से स्वीकार किया है। यह फैसला भारत की न्यायपालिका के साहस को दिखाता है। राघवन ने कहा, ‘मैं जांच के दौरान सभी तथ्यों को सही जगह रखना चाहता था। यह कोर्ट के हाथ है कि वह क्या फैसला लेता है।
सभी आरोपियों के खिलाफ साजिश रचने की धारा 120बी हटाए जाने को लेकर राघवन ने कहा, हमने धारा 120 बी को इसलिए शामिल किया गया था क्योंकि हमारी चार्जशीट में इस बात के वैध कारण थे कि साजिश रची गई थी। लेकिन कोर्ट ने इससे अलग फैसला लिया। मैं पूरे फैसले को पढ़ने से पहले इस पर कॉमेंट नहीं कर सकता।’