अहमदाबाद । सुप्रीम कोर्ट की तय कि गइ वीशेष जांच टीम एसआईटी ने चीफ़ मिनिस्टर गुजरात नरेंद्र मोदी और दुसरों के ख़िलाफ़ की हुई अपनी जांच रिपोर्ट आज सिवील कोर्ट को जो गुलबर्ग सोसाइटी मुक़द्दमे की सुनवाई कर रही है, जिस में 69 लोगों का 2002 के मुस्लिम दुश्मन फ़सादाद के दौरान क़तल कर दिया गया था, पेश करदी।लेकिन एसआईटी ने सीवील कोर्ट से दरख़ास्त की कि रिपोर्ट को जो सिल लगे हुए लिफाफों में पेश की गई है, खोला ना जाए क्योंकि जांच कार्यलय सीवील कोर्ट के हुक्म को जिस में रिपोर्ट आला तर अदालत में पेश करने की हिदायत दी गई है, चैलेंज करने का इरादा रखता है।
विशेष वकील इस्तिग़ासा आर.सी.कोडैकर ने जो एसआईटी की तरफ से पैरवी कर रहे हैं, कहा कि क्योंकि सिवील कोर्ट का इसरार हैकि रिपोर्ट पेश की जाए, हम ने इस की बात मानली लेकिन हम हाइकोर्ट से रुजू होरहे हैं ताकि मुताल्लिक़ा दस्तावेज जो ज़किया जाफरी की शिकायत के सिलसिले में हमारी जांच की हैं, तय कि हुई अदालत में पेश करने के लिए मुहलत तलब की जाए।इस से पहले भी अदालत से दरख़ास्त की गई थी कि एस आई टी रिपोर्ट की नक़ल पेश करने को रोक दिया जाए जब तक कि मेट्रो पोलीटन अदालत एस आई टी की सिफ़ारिशों और ज़किया जाफरी की शिकायत के बारे में इन्किशाफ़ात के सिलसिले में कोई फाइनल फ़ैसला ना करदे।
तय जज बी.जे.ढुंढा ने एस आई टी को अदालत से रुजू होने के लिए एक माह की मोहलत दी थी। उन्हों ने कहा कि अदालत रिपोर्ट उसी वक़्त खोलेगी जबकि हाइकोर्ट महकमा की दरख़ास्त का फ़ैसला ना करदे उस वक़्त तक रिपोर्ट सिल बन्द लिफाफों में ही रखी जाएगी और इस की हिफ़ाज़त की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट के हुक्म के मुताबिक़ एस आई टी इस से पहले अपनी जांच रिपोर्ट जो ज़किया जाफरी की मोदी और दुसरे 62 लोगों के ख़िलाफ़ शिकायत के सिलसिले में थी, मेट्रो पोलीटन अदालत में पेश कर चुकी है। शिकायत करने वालों में गुलबर्ग सोसाइटी के रहने वाले लोग भी शामिल हैं। उन्हों ने तय सीवील कोर्ट से रुजू होकर दरख़ास्त की थी कि एस आई टी को जांच रिपोर्ट पेश करने की हिदायत दी जाए।
अदालत ने अपनी पिछ्ली सुनवाई में महकमा को हिदायत दी थी कि रिपोर्ट और गुलबर्ग मुक़द्दमे से मुताल्लिक़ दस्तावेज 26 जून तक पेश कीये जाएं। आज कि बहेस में एक मरहले पर इस्तिग़ासा ने बेलचक मौक़िफ़ इख़तियार कर लिया कि सिवील कोर्ट में तमाम दस्तावेज पेश नहीं कीयें जाएंगे । तय जज ने एस आई टी से कहा कि आप मजलुमों के ख़िलाफ़ मुक़द्दमा नहीं लड़ रहे हैं।