गुलज़ार को इंदिरा गांधी क़ौमी यकजहती एवार्ड की पेशकशी

नई दिल्ली, ०१ नवंबर (पी टी आई) वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह और सदर कांग्रेस सोनीया गांधी ने आज ऐसी ताक़तों के ख़िलाफ़ जंग की एहमीयत पर ज़ोर दिया जो समाजी यकजहती को ग़ैर मुस्तहकम(कमजोर)करना चाहती हैं।

फ़िर्कावाराना तशद्दुद ( दंगे) और इस के बाद नक़ल मुक़ाम का हवाला देते हुए जो मशरिक़ी हिंद के मुख़्तलिफ़ इलाक़ों से गुज़शता चंद माह क़बल पेश आए हैं, वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह ने कहा कि ये वाक़ियात हमें याद दिलाते हैं कि कुछ ताक़तें चाहते हैं कि हमारे समाज को मुंतशिर (टुकड़े टुकड़े) कर दें ये ताक़तें अब भी सरगर्म हैं।

वो 27 वें इंदिरा गांधी एवार्ड बराए क़ौमी यकजहती अता करने के मौक़ा पर ख़िताब कर रहे थे। ये एवार्ड्स नामवर शायर, गीतकार और फ़िल्म हिदायतकार गुलज़ार को अता किया गया है। ये सालाना एवार्ड एक सिपास नामा और 5 लाख रुपय नक़द रक़म पर मुश्तमिल ( सम्मिलित) है।

वज़ीर-ए-आज़म ने अपनी तक़रीर में कहा कि ये हमारा फ़र्ज़ है कि हम तमाम मुम्किना कोशिशें करें कि इन ताक़तों के ख़िलाफ़ जद्द-ओ-जहद की जाए। मज़हब, फ़िर्क़ा और ज़ात पात को हमारी पेशरफ्त और मुल़्क की तरक़्क़ी में रुकावट नहीं बनना चाहीए।

सोनीया गांधी ने अपनी तक़रीर में कहा कि तमाम अब्ना-ए-वतन ( मुल्क के लोगों) का फ़र्ज़ है कि ऐसी ताक़तों की मुख़ालिफ़त (विरोध) करें जो मुल़्क की समाजी यकजहती को कमज़ोर करती हैं और इस सिम्त में जद्द-ओ-जहद करने वालों की कोशिशों को तस्लीम करें।

उन्होंने कहा कि सच्ची हुब्ब-उल-वतनी क़ौमी यकजहती के लिए काम करना, तमाम मज़ाहिब का यकसाँ एहतिराम करना है। उन्होंने कहा कि आँजहानी ( स्वर्गीय) इंदिरा गांधी भी अपने मुख़ालिफ़ीन ( शत्रुओं) तक का एहतिराम करती थीं। ये उन की ख़ूबी थी।

वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह ने कहा कि अगर आप अब्ना-ए-वतन के तईं हस्सास ( खुद्दार/ स्वाभिमानी) हों तो कोई भी ताक़त हमें ज़ात पात, इलाक़ा या मज़हब के नाम पर तक़सीम नहीं कर सकती। उन्होंने याददेहानी की कि इंदिरा गांधी ने फ़राख़दिली और सैक्यूलर रवायात को फ़रोग़ देने के लिए ज़बरदस्त कोशिशें की थीं।

उन्होंने कहा कि गुलज़ार की भी सताइश की और कहा कि उन्होंने फ़न की जो ख़िदमत की है इस में पैग़ाम भी है। उन्होंने इंसानियत पर ज़ोर दिया है। गुलज़ार ने अपनी तक़रीर में कहा कि उन्हें ये एवार्ड हासिल करते हुए ख़ुशी होती है क्योंकि ये इंदिरा गांधी से मंसूब है जो एक हरकियाती ख़ातून थीं और हिम्मत-ओ-अज़म वासिक़ (दृढ़्ता/ न टूटने वाला) की अलामत थीं।

माज़ी ( भूतकाल/ गजरे हुए) में एवार्ड हासिल करने वालों में मुजाहिद आज़ादी अरूना आसिफ़ अली, साबिक़ वज़ीर-ए-आज़म राजीव गांधी, साबिक़ सदूर ए पी जे अब्दुल कलाम और शंकरदयाल शर्मा के इलावा नामवर फ़िल्म हिदायतकार श्याम बेनेगल और मूसीक़ार ए आर रहमान, शामिल हैं।