गैर कानूनी कारोबार से रूंगटा ब्रदर्स बने अरबपति

रामगढ़ : गैर कानूनी कोल ब्लॉक आवंटन मामले में सजा पाए रूंगटा ब्रदर का रामगढ़ से गहरा नाता है। कोयला किंग के तौर में मशहूर चार भाइयों वाले रूंगटा ब्रदर्स 1972 में जब रामगढ़ पहुंचे, तो राजदूत मोटरसाइकिल से घूमा करते थे। कोयले की कालिख में रुपए की गर्माहट को इन्होंने जल्द ही भांप लिया।

बनारस उस वक़्त कोयले की बड़ी मंडी बन चुका था। रूंगटा ब्रदर्स ने यहां का कोयला बनारस की मंडी तक पहुंचाना शुरू कर दिया। कारोबार के फैलाव को लेकर बड़े भाई नंदलाल बनारस ही शिफ्ट कर गए। मुगलसराय की कोयला मंडी में ट्रांसपोर्ट खोला। आरसी रूंगटा रामगढ़ से कोयला भेजने लगे और बनारस में नंदलाल उस कोयले को बेचने में लग गए।

आरसी रूंगटा 1975 के दौरान राजदूत बाइक से घूमा करते थे। कुजू मंडी से बनारस दो चार ट्रक कोयला भेजने का काम करते थे। धंधे की सभी बारीकियां सीख लेने के बाद लिंकेज के खेल में जुट गए। फर्जी फैक्ट्रियों के नाम पर कोयले का कागजात तैयार करवाते और फिर कोयले का ज़्यादातर ऑफर खुद हथिया लेते थे। धीरे-धीरे इनकी इकॉनमी हालत मजबूत हुई और कुजू में ट्रांसपोर्ट खोल लिया। साल 2000 के बाद रूंगटा ब्रदर्स फैक्ट्रियां कायम करने लगे। आनंदिता स्पंज, अलोक स्पंज, मां छिन्नमस्तिका स्पंज, झारखंड इस्पात, दुर्गा सीमेंट वगैरह कई फैक्ट्रियों के मालिक बन बैठे।

फैक्ट्रियों के नाम पर कोल लिंकेज के जरिए भी रूंगटा ब्रदर्स ने अच्छी खासी कमाई की। उस वक्त पूर्व सैनिकों को निर्धारित दर पर कोयला ढुलाई का काम दिया जाता था। कई पूर्व सैनिकों से राब्ता कर उन्हें मामूली रकम देकर उनके नाम से बड़े पैमाने पर कोयला ढोया। इस काम से भी रूंगटा ब्रदर्स ने खासी कमाई की।

रूंगटा ब्रदर्स पर रामगढ़ जिले के कई थानों में गैर कानूनी कोयले के धंधे से जुड़े कई मामले दर्ज हैं। गैर कानूनी धंधा जब परवान चढ़ता है, तो ऊपर से प्रेशर भी आता है। उस हालत में पुलिस मामला तो दर्ज कर लेती है। चूंकि गैर कानूनी कमाई का बड़ा हिस्सा पुलिस के पास भी पहुंचता है, इसलिए मामले पर संगीन कार्रवाई नहीं होती।