गैर मुमकिन है भुला दें हम बयाने करबला
खून से लिखी गयी है दास्ताने करबला
बुजुर्ग शायर सैयद मतीन अमादी ने जैसे ही यह शेर पढ़ा ..तो लोग वाह-वाह करने लगे। बुजुर्ग शायर ने एक से बढ़ कर एक शेर पढ़े और मुशायरे का हॉल वाह-वाह से गूंजता रहा। खानकाह मुजीबिया में मुनक्कीद तरही मुशायरा में पटना, पटना सिटी, फुलवारीशरीफ, अलीगढ़, औरंगाबाद और दानापुर समेत दीगर जगहों से आये हुए शायरों ने एक-से-एक कलाम पढ़े।
तरही मुशायरा नया हो
तरही मुशायरा में ऑर्गनाइज़र एक लाइन देता है और इसी लाइन के आयात पर शेर कहना होता है। खानकाह मुजीबिया ने इसलाम के पैगंबर हजरत मोहम्मद स.व. के नवासे हजरत इमाम हसन की शान में एक लाइन ‘खून से लिखी गयी है दास्ताने करबला’, इसी लाइन से शायरों ने एक से बढ़ कर एक शेर कहे। शाह हिलाल अहमद कादरी का यह शेर लोगों को बहुत पसंद आया।
दास्ताने सर फरोशा, दास्ताने करबला। कारजारे हक व बातिल है जयाने करबला। कौस सिद्दीकी के इस शेर पर खूब दाद मिली हम यजीदे वक्त पर लिख दें मैं जिंदा हुसैन। फिर नजर के सामने है दास्ताने करबला। नाशाद औरंगाबादी ने भी अपने शेर से लोगों का दिल जीता। इसके अलावा जफर सिद्दीकी, प्रो तहाहा रिज़वी वर्क, डॉ प्रमोद अलीरक रिदि, डॉ प्रो सिराज अजमली, मोइन कौसर, अहसन राशिद, इफ्तेखार आरिफ, डॉ प्रो अली अल्लाह हाली, बद्र अहमद मुजीबी, मुनीर सैफी वगैरह ने भी अपने-अपने कलाम पढ़े। मौके पर सैयद शाह मिनहाजुद्दीन कादरी, नौशाद अहमद, एखलाक अहमद कादरी, प्रो संजय फज्जुउल्लाह कादरी, सैयद मोइन अहमद, लाल बाबू वगैरह मौजूद थे।