पटना 19 अप्रैल : गैर मुल्कों में काम करने वाले हिन्दुस्तानियों की तरफ से भेजी जाने वाली रक़म को हिंदुस्तानी अक्सादी निज़ाम के लिए अहम बताते हुए हिंदुस्तानी डाक के एक सिनिअर अफसर ने आज कहा कि इस मामले में गुज़िस्ता माली साल के दौरान बिहार मुल्क में पांचवें नंबर पर रहा और यहां के डाकखानों में 200 करोड रुपये आये।
बिहार के डाक सेवा (बिजनेस डेवलपमेंट) के डायरेक्टर अनिल कुमार ने बताया कि माली साल 2012-13 में खलिजी ममुल्क समेत दीगर ममुल्क में काम करने वाले हिन्दुस्तानियों ने वेस्टर्न यूनियन मनी ट्रांसफर के जरिये 200 करोड रुपये रियासत के डाक खानों को भेजे।
तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और केरल वगैरा रियासतों के बाद बिहार पांचवें नंबर पर रहा। रियासत में भोजपुर, सीवान, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज और पटना के डाक खानों में सबसे ज्यादा रक़म भेजी गयी। बिहार के इन अजला में खलिज मुल्कों और गैर मुल्कों से बडी रक़म आने की वज़ह इन अजला को एक वक़्त “मनीआर्डर जिलों” के तौर पे जाना जाता था।
कुमार ने बताया कि बिहार में गुजिस्ता साल एक लाख से ज्यादा अफरादों ने वेस्टर्न यूनियन मनी ट्रांसफर के जरये से पैसा भेजा। गुजिस्ता 12 साल से यह इलेक्ट्रानिक मनीआर्डर के तौर पर मक़बूल है।
बिहार में 9614 डाकखानों में से 225 डाक खानों में यह सहुलत है। उन्होंने कहा कि अब रक़म भेजने को ज्यादा आसान बनाने के लिए डाक मह्क़मा ने मोबाइल मनी ट्रांसफर (एमएमटी) देहात बिहार के लिए शुरु किया है। इसे गुजिस्ता माह 118 डाकखानों में शुरु किया गया। सिर्फ एमएमटी के जरिये से मुल्क के अन्दर तकरीबन सात करोड रुपये आये जबकि हिंदुस्तान से बाहर 75 लाख रुपये भेजे गये। रियासत के 9614 डाक खानों में से 5000 में जून 2013 तक एमएमटी की सहुलत शुरु हो जाएगी।