गैर मुस्लिम ख़ातून का मिसाली जज़बा, मुस्लिम बच्चों को मुफ़्त ट्यूशन

हैदराबाद 29 मई – मुहब्बत और ख़ुलूस, ईसार वो क़ुर्बानी इंसानियत और हमदर्दी , ज़रूरतमंदों की मदद का जज़बा और मुल्क और क़ौम की नौजवान नस्ल को इल्म से आरास्ता करने का शौक़ ऐसी खूबियां हैं जो अगर किसी मुआशरा में पैदा हो जाए तो यक़ीनन वो मुआशरा तरक़्क़ी और ख़ुशहाली की जानिब गामज़न होगा । हमारी नौजवान नस्ल को आज अगर किसी चीज़ की सब से ज़्यादा ज़रूरत है तो वो इल्म है अपने नौनिहालों को इल्म से आरास्ता करके ही उन्हें दुनिया की दूसरी क़ौमों के शाना बशाना ठहराया जा सकता है ।

कहते हैं कि एक चिराग़ से कई चिराग़ जलते हैं इस बारे में हम ने सुना ज़रूर था लेकिन एक तालीमयाफ्ता सलीकामंद इंसानियत नवाज़ एक गैर मुस्लिम बावक़ार ख़ातून से मिल कर इस मक़ूला को हम ने अमली शक्ल में देखा । क़ारईन ! 50 साला योगेश्वरी साकिन तारनाका मौला अली में वाक़े एक ख़ानगी स्कूल की प्रिंसिपल हैं और गुजिश्ता 12 बर्सों से वो इस स्कूल में ख़िदमात अंजाम दे रही हैं । मुहतरमा योगेश्वरी के शौहर इंग्लिश ऐंड फ़ोरेन लैंग्वेजेस यूनीवर्सिटी में प्रोफेसर हैं जबकि उनके फ़र्ज़ंद सी ए कर रहे हैं ।

मुहतरमा योगेश्वरी के लिए इंसानियत ही सब से बड़ा मज़हब है और वो बिला लिहाज़ मज़हब वो मिल्लत रंग और नस्ल और ज़ात पात के हर हिंदुस्तानी लड़का लड़की को तालीमयाफ्ता देखने की ख़ाहां हैं । इसी जज़बा के बाइस वो आजकल ए सी गार्ड में मुहतरमा फ़र्ज़ाना बदरुल्ज़मां के मकान में गरीब बच्चों को अंग्रेज़ी की तालीम दे रही हैं और गुजिश्ता एक माह से वो हर रोज़ ऑटो में तारनाका से ए सी गार्ड आती हैं और अपनी इस मेहनत का मुआवज़ा भी नहीं लेती । इस बारे में ख़ुद मुहतरमा योगेश्वरी ने बताया कि दो माह क़ब्ल उन की एक साथी ने सियासत में फ़र्ज़ाना बदरुल्ज़मां के बारे में शाय एक रिपोर्ट सुनाई इस रिपोर्ट में बताया गया था कि एक ख़ुदातरस और हमदर्द ख़ातून अपनी बस्ती के गरीब लड़के लड़कियों की किस तरह मदद कर रही हैं और उन्हों ने इन के लिए ट्यूशन कॉपियों किताबों यूनीफार्म्स का इंतिज़ाम किया है ।

मुहतरमा योगेश्वरी फ़िलवक़्त वो 12 तलबा को तालीम दे रही हैं इन में 3 हिंदू लड़कियां और एक लड़का भी शामिल हैं । योगेश्वरी के अंदाज़ तदरीस से ये सब ख़ुश हैं हम ने जहां मधु , महालक्ष्मी , संगीता और विजय से बात की वहीं 9वीं जमात की सानिया उसमान ने बताया कि उनके वालिद मस्जिद के पेश इमाम हैं उन्हों ने ये भी कहा कि मैडम जब से अंग्रेज़ी पढ़ा रही हैं उनकी सलाहियतों में बेहतरी आई है । वो दिलचस्पी से पढ़ा रही हैं । दसवीं की तालिबा ज़ैनब बेगम ने बताया कि उनके वालिद किराना स्टोर चलाते हैं ।

उन के वालिदैन में ट्यूशन फीस अदा करने की इस्तिताअत नहीं है । मैडम अच्छे अंदाज़ में पढ़ा रही हैं । नाफ़िया ख़ातून ने जो 9वीं जमात में ज़ेरे तालीम है बताया कि स्पोकेन इंग्लिश क्लासेस की बदौलत यन में जो झिजक और ख़ौफ़ था वो दूर हो गया है । मुहतरमा योगेश्वरी ने कहा कि सिर्फ़ अंग्रेज़ी मीडियम स्कूल्स खोल लेना बड़ी बात नहीं बल्कि बच्चों को अंग्रेज़ी बोल-चाल सिखाना अहम बात है ।

बहरहाल मुहतरमा योगेश्वरी ने अपने अमल के ज़रीए मुस्लिम दानिश्वरों और तालीमयाफ्ता तबक़ा को इस बात का लम्हे फ़िक्र फ़राहम किया है कि आया वो अपनी मिल्लत के नौनिहालों के लिए दिन में कम अज़ कम दो घंटे निकाल सकते हैं ? अगर हमारे तालीमयाफ्ता नौजवान गरीब इलाक़ों में सिर्फ़ दो घंटे ही बच्चों को तालीम दें तो उम्मीद है कि इन में हुसूले इल्म का शौक़ ज़रूर जागेगा ।