गैर यक़ीनी सयासी सूरत-ए-हाल से इंजीनिरिंग कौंसलिंग तात्तुल का शिकार

रियासत में ग़ैर यक़ीनी सयासी सूरत-ए-हाल ने इंजीनीयरिंग कॉलिजस की कौंसलिंग और फ़ीस रीइम्ब्रेस्मेंट के मसला की यकसूई(हल) को तात्तुल का शिकार बनादिया है। चीफ़ मिनिस्टर और रियास्ती वुज़रा सयासी तनाज़आत की यकसूई(हल) के सिलसिला में दिल्ली के चक्क्र काट रहे हैं और हैदराबाद में महिकमा आला तालीम के ओहदेदार ख़ुद को बेबस महसूस कर रहे हैं।

हुकूमत ने इंजीनीयरिंग की सालाना फ़ीस के ताय्युन के लिए काबीनी सब कमेटी तशकील दी लेकिन इस के बेशतर अर्काने हुकूमत के मौजूदा बोहरान की यकसूई(हल) के सिलसिला में चीफ़ मिनिस्टर के साथ सरगर्म हैं जिस के बाइस काबीनी सब कमेटी का इजलास मुनाक़िद नहीं हो पा रहा है। इस सूरत-ए-हाल के सबब इंजीनीयरिंग में दाख़िला के ख़ाहिशमंद तलबा और उन के सरपरस्तों मेंतशवीश की लहर पाई जाती है।

एक तरफ़ हुकूमत इंजीनीयरिंग की कौंसलिंग की तारीख़ का ताय्युन करने में नाकाम है तो दूसरी तरफ़ फ़ीस के अदम ताय्युन के सबब फ़ीस रीइम्ब्रेस्मेंट स्कीम जारी रखने के बारे में भी ग़ैर यक़ीनी सूरत-ए-हाल पाई जाती है।

इंजीनीयरिंग कॉलेजस सालाना फ़ीस को मौजूदा 31 हज़ार से बढ़ा कर कम अज़ कम 40 हज़ार करने का मुतालिबा कर रहे हैं जबकि हुकूमत ने 5 हज़ार रुपये से ज़ाइद फ़ीस में इज़ाफ़ा ना करने का फ़ैसला किया है। इस तरह हुकूमत और कॉलिजस इंतिज़ामीया के दरमयान टकराव की सूरत-ए-हाल पैदा होगई और ये मुआमला अदालत तक पहुंच गया।

इस तरह ये मुआमला मज़ीद तवालत इख़तियार कर चुका है। फ़ीस का ताय्युन ना होने के सबब फ़ीस रीइम्ब्रेस्मेंटके बारे में भी तलबा में पाई जाने वाली बेचैनी बरक़रार है और हुकूमत ने इस बारे में ताहाल कोई वज़ाहत नहीं की। कॉलेजस इंतिज़ामीया का कहना है कि सालाना 35 हज़ार रुपये फ़ीस इंतिहाई नाकाफ़ी है।

मौजूदा सयासी तबदीलीयों के पस-ए-मंज़र में देखना ये है कि का बीनी सब कमेटी को इस मसला की यकसूई(हल) के लिए कब फ़ुर्सत मिलेगी?।