सुप्रीम कोर्ट ने आज मर्कज़, राजस्थान-ओ-हरियाणा हुकूमतों से उन इल्ज़ामात की वज़ाहत तलब की है जहां ये कहा गया है कि वहां गै़रक़ानूनी कानकनी (Mining) सरगर्मीयां एक अर्सा से जारी हैं । जस्टिस के एस राधा कृष्णन और जे एस केहर पर मुश्तमिल ( शामिल) एक बंच ने सोसायटी फ़ार एवेर्नेस ऐंड डेवलपमेंट ( Awerness and Development) एक एन जी ओ (NGO) की जानिब से दाख़िल कर्दा दरखास्त पर मज़कूरा (उक़्त) वज़ाहत तलब की है ।
दरख़ास्त में वाज़िह (स्पष्ट) तौर पर कहा गया था कि रियास्ती हुकूमत ( राज्य सरकार) अदालत के क़ब्लअज़ीं 8मार्च 2005 को जारी की गई हिदायत की सरासर ख़िलाफ़वर्ज़ी कर रही हैं क्योंकि अदालत ने गै़रक़ानूनी कानकनी (mining) को फ़ौरी रोक देने की हिदायत की थी लेकिन इस का कोई असर होना नज़र नहीं आता।
दरख़ास्त गुज़ार ने इद्दिआ ( दावा) किया कि गै़रक़ानूनी कानकनी ( mining) की वजह से कम-ओ-बेश 16 मज़दूर पत्थरों को धमाका से उड़ाने और ऐसी ही दीगर ( दूसरी) सरगर्मीयों के दौरान हलाक हो गए हैं 25 अगस्त 2011 के एक वाक़िया ( घटना) का तज़किरा भी किया गया है जो भवानी तहसील में पेश आया ।