गै़रक़ानूनी तामीरात: मुंबई बलदिया को कार्रवाई करने बॉम्बे हाइकोर्ट की हिदायत

मुंबई, 29 दिसंबर: ( पीटीआई) बॉम्बे हाइकोर्ट ने मुंबई बलदिया को गै़रक़ानूनी तामीरात के ख़िलाफ़ कार्रवाई ना करने पर तन्क़ीद का निशाना बनाते हुए ये मश्वरा दिया है कि बलदिया को दाख़िली तौर पर अपने मेकानिज़्म को दुरुस्त करने की ज़रूरत है ताकि गै़रक़ानूनी तामीरात के मुआमले से अच्छी तरह और मुनासिब तौर पर निमटा जा सके ।

अदालत को रोज़ाना ऐसी तो कई दरख़ास्तें मौसूल होती हैं जिनमें ये शिकायत की जाती हैकि फ़लां फ़ुलां मुक़ाम पर गै़रक़ानूनी तामीर पर मुंबई बलदिया ने कोई कार्रवाई नहीं की लिहाज़ा अदालत भी जब ये देखती है कि शिकायत अपनी जगह पर बिलकुल दुरुस्त है तो उसे (अदालत) शिकायत कनुंदा के हक़ में फ़ैसला सुनाना पड़ता है ।

जस्टिस आर डी धुन्नू का और ए एम खानवेलकर ने कहा कि मुंबई बलदिया के लिए यही मुनासिब होगा कि वो अपने दाख़िली मेकानिज़्म को किसी हद तक दरुस्त करे ताकि मुख़्तलिफ़ शिकायतों में से कुछ शिकायतों का अज़ाला किया जा सके । हर शिकायत पर अगर बलदिया ख़ामोशी इख्तेयार किए बैठी रहेगी तो शहर में गै़रक़ानूनी तामीरात का एक कभी ना ख़त्म होने वाला सिलसिला शुरू हो जाएगा ।

अगर उस नौईयत की शिकायतें मौसूल हुई हैं तो वो आफ़िसरान जिन्हें शिकायतों पर कार्रवाई करने का इख्तेयार है । वो बलदिया के वज़ा करदा क़वानीन के मुताबिक़ उन पर अमल आवरी करें लेकिन ये बात भी मल्हूज़ रहे कि क़वानीन के मुताबिक़ कार्रवाई करने में दो साल से ज़ाइद का अर्सा नहीं लगना चाहीए ।

ये बात दोनों जजेस (Judges) ने उस वक़्त कही जब मज़ाफ़ाती इलाक़ा बांद्रा में एक गै़रक़ानूनी तौर पर तामीरशुदा इमारत के ख़िलाफ़ दाख़िल करदा शिकायत की समाअत कर रहे थे । अपने हुक्मनामा में जजेस ने म्यूनसिंपल कमिशनर से ख़ाहिश की कि वो इन मुआमलात की जांच पड़ताल करते हुए उसी मुताबिक़त से रहनुमा या नाख़ुतूत और हिदायात जारी करें।

इसी तरह मुख़्तलिफ़ शिकायतों की यकसूई की जा सकेगी ।