नई दिल्ली। गोरक्षकों के बढ़ते आतंक और देशभर में बढ़ रहे गोरक्षकों के आतंक के विरोध में मुस्लिम मीट कारोबारी इसी महीने एक विशेष आमसभा करने जा रहे हैं। यह मीटिंग कुरैशी समुदाय के मुस्लिमों द्वारा बुलाई गई है। दरअसल अधिकांश कुरैशी समुदाय मुस्लिम मांस का कारोबार करते हैं। माना जा रहा है कि सभा में कुरैशी देशव्यापी हड़ताल कर सकते हैं।
अखिल भारतीय जमीयत-उल-कुरैशी के सदस्यों ने हड़ताल के पीछे चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि देश में गोहत्या रोकने के नाम पर एक खौफ का माहोल बनाया जा रहा है, जिसका असर मीट कारोबारियों के पड़ रहा है। गोरक्षा के आतंक के नाम पर हमसे पैसा वसूला जा रहा है।
कुरैशियों ने कहा कि गोरक्षकों के आतंक को केंद्र सरकार की शह मिली है, गोरक्षकों खिलाफ शिकायत हम किससे करे स्थानीय अधिकारी, विशेष रूप से पुलिस विभाग उनके साथ खड़ा है। कुरैशी समुदाय की मांग
जमीयत-उल-कुरैशी का मानना है कि केंद्र में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार अपनी विचारधारा की वजह से मुसलमानों के गुस्से का जवाब नहीं देगी। कहने के लिए भारत शाकाहारियों का देश है लेकिन इस मिथक के विपरीत, विभिन्न सर्वेक्षणों से पता चला है कि 60% के बीच और 15 साल की उम्र से ऊपर 70% भारतीय मांस का भक्षण करते हैं।
गोहत्या के नाम पर गोरक्षकों द्वारा किए जा रहे बवाल से सिर्फ भैंस ही नहीं बल्कि मटन और चिकन के व्यापार पर विशेष प्रभाव पड़ा है। इतना ही नहीं गाय पालक मुसलमानों के खिलाफ हिंदुओं को धार्मिक भावनाओं का नाम लेकर भड़काया जाता है जिससे उनके खिलाफ दुश्मनी पैदा हो जाती है।
हैरत की बात यह है कि इस दुश्मनी को प्रोत्साहित करने का काम पुलिस अधिकारियों और पशु कल्याण अधिकारियों ने मांस उद्योग में लगे लोगों से धन उगाही करके फायदा उठाने के लिए किया है।